फिजिकल फिट होने के बाद भी युवाओं में बढ़ते Heart Attack के 3 प्रमुख कारण। आज की तेज़-रफ़्तार ज़िंदगी में हृदय संबंधी समस्याएं केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गई हैं। अब यह गंभीर समस्या युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है। 30 से 40 वर्ष की उम्र के युवा, जो अपने जीवन के सबसे उत्पादक दौर में होते हैं, हृदय स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
यह स्थिति न केवल उनकी व्यक्तिगत जिंदगी बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी असर डालती है। ऐसे में यह समझना बेहद जरूरी हो जाता है कि इस समस्या के पीछे कौन-कौन से प्रमुख कारण हैं।

- अस्वास्थ्यकर जीवनशैली (Unhealthy Lifestyle): आधुनिक जीवनशैली के कारण शारीरिक गतिविधि में कमी आई है। दिनभर बैठकर काम करने, जंक फूड खाने और व्यायाम न करने जैसी आदतें युवाओं को हृदय रोगों की ओर धकेल रही हैं।
- जंक फूड और असंतुलित आहार: आजकल युवाओं में फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड का चलन बहुत बढ़ गया है। यह खाद्य पदार्थ वसा और शर्करा से भरपूर होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को बढ़ाकर दिल की धमनियों को ब्लॉक कर सकते हैं।
- शारीरिक गतिविधि की कमी: ज्यादातर युवा ऑफिस या घर पर बैठे रहते हैं। नियमित व्यायाम की कमी से मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जो हृदय रोगों के बड़े कारण हैं।
- धूम्रपान और शराब का सेवन: धूम्रपान और अत्यधिक शराब पीना सीधे तौर पर हृदय को प्रभावित करते हैं। ये आदतें रक्त वाहिकाओं को सख्त और संकरी बना देती हैं, जिससे दिल तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती।

- मानसिक तनाव और अनियमित जीवन: आज की प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में तनाव एक सामान्य समस्या बन गई है। लेकिन लंबे समय तक तनाव में रहना हृदय स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
- काम का दबाव: नौकरी या पढ़ाई का अत्यधिक दबाव युवाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से थका देता है। यह तनाव रक्तचाप को बढ़ाकर दिल पर दबाव डालता है।
- नींद की कमी: देर रात तक काम करना, मोबाइल फोन या लैपटॉप का इस्तेमाल, और अनियमित सोने की आदतें शरीर की जैविक घड़ी को बिगाड़ देती हैं। नींद की कमी हार्मोनल असंतुलन पैदा करती है, जो हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
- भावनात्मक तनाव: व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में समस्याएं, जैसे रिश्तों में तनाव, भी हृदय रोगों का कारण बन सकती हैं। तनाव के कारण रक्त में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो लंबे समय तक हृदय को कमजोर कर सकता है।

- आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारक: कई बार हृदय रोगों का कारण हमारी जेनेटिक संरचना और पर्यावरणीय प्रभाव होते हैं।
- पारिवारिक इतिहास: यदि परिवार में किसी को हृदय रोग है, तो यह संभावना बढ़ जाती है कि वह बीमारी युवा पीढ़ी को भी प्रभावित कर सकती है।
- वायु प्रदूषण: बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है, जो दिल और फेफड़ों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से रक्त वाहिकाओं में सूजन हो सकती है।
- मधुमेह और मोटापा: आनुवांशिक रूप से इन बीमारियों की प्रवृत्ति भी युवाओं को दिल की बीमारियों के जोखिम में डाल सकती है।

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समाधान और जागरूकता: हृदय स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए जागरूकता और सही जीवनशैली अपनाना जरूरी है।
- नियमित व्यायाम करें, जैसे योग, दौड़ना या साइक्लिंग।
- संतुलित आहार लें और फास्ट फूड से बचें।
- तनाव प्रबंधन के लिए ध्यान और मेडिटेशन करें।
- समय पर स्वास्थ्य जांच कराएं और डॉक्टर से परामर्श लें।
- धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करें।
नोट: युवाओं में हृदय रोगों का बढ़ता खतरा न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का मुद्दा है, बल्कि यह समाज और देश की उत्पादकता पर भी असर डालता है। सही जानकारी और समय पर कदम उठाकर इस समस्या को रोका जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली और नियमित स्वास्थ्य जांच से युवा अपने हृदय को मजबूत और स्वस्थ रख सकते हैं।