E-NILAMI: क्या हो रहा है और क्यों खास है देवी भवानी की मूर्ति

Muskan gour

E-NILAMI: क्या हो रहा है और क्यों खास है देवी भवानी की मूर्ति
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E-NILAMI : आज एक बड़ी खबर ने सबका ध्यान खींचा है — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले लगभग 1300 तोहफे अब E-NILAMI (ऑनलाइन नीलामी) के ज़रिए बेचे जा रहे हैं। इस नीलामी में कई अनोखे और भावनात्मक वस्तुएँ हैं। सबसे चर्चा में है देवी भवानी की मूर्ति जिसकी बेस प्राइस यानी शुरूआती कीमत ₹1 करोड़ रखी गई है। साथ ही कुछ आइटम ऐसे भी हैं जिनमें देश के पैरालंपिक पदक विजेताओं के जूते शामिल हैं — जो भावनात्मक और ऐतिहासिक दोनों मायनों में महत्वपूर्ण हैं।

नीलामी का यह आयोजन केवल वस्तुओं की खरीद-बिक्री नहीं है; यह एक ऐतिहासिक पल भी है जिसमें नेताओं को मिले तोहफों का सार्वजनिकरण हो रहा है। लोग जानना चाहते हैं — ये तोहफे कहाँ से आए, क्यों नीलामी हो रही है, और इनका इस्तेमाल कैसे होगा। इस लेख में हम सादा भाषा में, आसान शब्दों में और गूगल पर सर्च में आने योग्य तरीके से पूरे मुद्दे को समझाएंगे।

E-NILAMI: तोहफों का स्रोत — ये तोहफे कहाँ से आए?

प्रधानमंत्री को मिलने वाले तोहफे कई स्रोतों से आते हैं:

  • भारत और विदेशों से आए हुए आधिकारिक और अनौपचारिक उपहार।
  • राजनीतिक दलों, संस्थाओं तथा नागरिकों द्वारा भेंट किए गए स्मृति चिन्ह।
  • कला, हस्तशिल्प, मूर्तियाँ और कीमती चीजें जो सम्मान के रूप में दी जाती हैं।

प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के नियमों के अनुसार कुछ तोहफों को वे व्यक्तिगत रूप से रख नहीं सकते या उन्हें सार्वजनिक हित में रखने की प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। इसलिए कई बार ऐसे तोहफे संग्रहालयों में भेजे जाते हैं या सरकारी नीलामी के ज़रिए बेच दिए जाते हैं। नीलामी का उद्देश्य अक्सर पारदर्शिता और सार्वजनिक हित में उपयोग के लिए फंड जुटाना होता है।

देवी भवानी की मूर्ति — क्यों बनी सबसे महँगी आइटम?

नीलामी की सबसे चर्चा में रही आइटम देवी भवानी की मूर्ति है। इसकी कुछ मुख्य बातें:

  • धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: देवी भवानी हिन्दू धर्म में शक्ति की देवी मानी जाती हैं। किसी नेता को ऐसी मूर्ति भेंट करना सम्मान का संकेत होता है।
  • कलात्मक गुण: अगर मूर्ति हस्तशिल्प या किसी प्रसिद्ध कलाकार ने बनाई है, तो उसकी कला-मूल्य भी बढ़ जाती है।
  • इतिहासिक संदर्भ: संभव है कि यह मूर्ति किसी विशेष आयोजन या समारोह में दी गई हो, जिससे उसकी ऐतिहासिक अहमियत बनती है।
  • बेस प्राइज ₹1 करोड़: कीमत इसलिए रखी गई है ताकि योग्य खरीदार और सांस्कृतिक महत्व का ध्यान रखा जाए। यह भी संकेत है कि मूर्ति को केवल सामान्य बाजार भाव पर नहीं बेचा जा रहा।
E-NILAMI: क्या हो रहा है और क्यों खास है देवी भवानी की मूर्ति

E-NILAMI में यह आइटम इसलिए भी खास है क्योंकि यह न सिर्फ आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी भारी है। कई लोग इसे संग्रहालय या सार्वजनिक प्रदर्शनी में देखना चाहेंगे।

पैरालंपिक मैडलिस्टों के जूते — भावनात्मक और प्रेरणादायक

नीलामी में जो दूसरी चीज़ों को खास बनाती है, वे हैं पैरालंपिक प्लेयर्स के उपयोग किए गए जूते। इनके बारे में कुछ बातें:

  • प्रेरणादायक वस्तु: पैरालंपिक खिलाड़ी कठिन परिश्रम और जज़्बे का प्रतीक होते हैं। उनके इस्तेमाल किए गए जूते रखने वाला व्यक्ति खुद को प्रेरणा का स्रोत मान सकता है।
  • सार्वजनिक ध्यान: ऐसे आइटम शौक़ीनों और खेल प्रेमियों का ध्यान खींचते हैं। साथ ही यह पैरालंपिक खिलाड़ियों के संघर्ष और सफ़लता की कहानी आगे ले जाता है।
  • E-NILAMI का उद्देश्य: इन जूतों की नीलामी से मिलने वाली रकम का कुछ हिस्सा खेलों के विकास, पुनर्वास योजनाओं या खेलों से जुड़े कल्याण कार्यों में लगाया जा सकता है—यह सार्वजनिक लाभ का एक रास्ता बनता है।

यदि खरीदार सिर्फ संग्रह के लिए यह जूते खरीदते हैं, तो उनके पास एक प्रेरणादायक कहानी और देश के खेलों की याद भी रहती है।

E-NILAMI किस प्रकार आयोजित की जा रही है?

यहां पर कुछ सामान्य बातें हैं जो सरकारी या आधिकारिक नीलामियों पर लागू होती हैं — और इन्हें आसान भाषा में समझाया गया है:

  1. ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म: नीलामी ई-नीलामी यानी ऑनलाइन की जा रही है। इसका मतलब है कि लोग इंटरनेट पर जाकर इन वस्तुओं के लिए बोली लगा सकते हैं।
  2. रजिस्ट्रेशन: नीलामी में भाग लेने के लिए पहले रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है। रजिस्ट्रेशन में पहचान और भुगतान का साधन जोड़ना आवश्यक होता है।
  3. बेस प्राइज और रिजर्व: हर आइटम के लिए बेस प्राइस सेट किया जाता है (जैसे देवी भवानी की मूर्ति के लिए ₹1 करोड़)। कभी-कभी रिजर्व प्राइस भी होता है, यानी उस कीमत से नीचे बेचने का मन नहीं।
  4. बोली की प्रक्रिया: इच्छुक खरीदार ऑनलाइन दावा लगाते हैं और अधिकतम बोली लगाने वाला विजेता होता है।
  5. कानूनी औपचारिकताएँ: नीलामी के बाद भुगतान, सामान का पासिंग, डिलीवरी और करों से जुड़ी औपचारिकताएँ पूरी की जाती हैं।
  6. पारदर्शिता: सरकारी नीलामी में पारदर्शिता बनी रहती है ताकि लोगों का भरोसा बना रहे।

E-NILAMI का उद्देश्य — पैसे कहाँ जाएंगे?

E-NILAMI: क्या हो रहा है और क्यों खास है देवी भवानी की मूर्ति

आम तौर पर प्रधानमंत्री को मिले तोहफों की E-NILAMI का उद्देश्य कई तरह का हो सकता है:

  • सरकारी कोष में शुद्धिकरण: मिलने वाले पैसों को किसी सरकारी कार्यक्रम, कल्चरल प्रोग्राम या सार्वजनिक कल्याण योजनाओं के लिए रखा जा सकता है।
  • संग्रहालय और प्रदर्शन: कुछ E-NILAMI की गई वस्तुएँ स्थानीय संग्रहालयों या सार्वजनिक गैलरीज़ के लिए धन जुटाने में मदद कर सकती हैं।
  • सामाजिक और कल्याणकारी परियोजनाएँ: पैरालंपिक खिलाड़ियों के जूतों जैसी आइटम की नीलामी से मिले पैसों का कुछ हिस्सा खेलों के विकास, पुनर्वास और विशेष जरूरतमंद कार्यक्रमों में लगाया जा सकता है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: यह दिखाने का भी तरीका है कि सार्वजनिक जीवन में मिली वस्तुएँ निजी स्वार्थ के लिए उपयोग नहीं की जा रहीं, बल्कि सार्वजनिक हित में लाई जा रहीं हैं।

नीलामी से मिलने वाली राशि का उपयोग किस तरह होगा — यह इस बात पर निर्भर करता है कि E-NILAMI किस संस्था द्वारा आयोजित की जा रही है और कितनी पारदर्शिता के साथ फैसला लिया जाता है।

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