नोट: हाल की आधिकारिक खबरों के अनुसार Assessment Year 2025-26 के लिए ITR फाइलिंग की मूल तिथि 31 जुलाई 2025 थी, बाद में इसे 15 सितंबर 2025 तक बढ़ाया गया था और हाल ही में एक और दिन की छूट देकर अंतिम तिथि 16 सितंबर 2025 कर दी गई है। अगर आपने यह तारीख छोड़ दी है तो आप बेलेटेड रिटर्न 31 दिसंबर 2025 तक फाइल कर सकते हैं (पर कुछ दंड और सीमाएँ लागू होंगी)।
1) ITR फाइल करने की अभी-की (ताज़ा) स्थिति
- नयी अंतिम तिथि: Income Tax Department ने Assessment Year 2025-26 (FY 2024-25) के लिए ITR फाइल करने की अंतिम तिथि 16 सितंबर 2025 कर दी है (अभी-अभी बढ़ाई गई)। अगर आप 16 सितंबर 2025 तक ITR जमा कर देते हैं तो आपको लेट-फीस (late fee) का सामना नहीं करना पड़ेगा। mint+1
- बेलेटेड रिटर्न की आख़िरी तारीख: यदि आप 16 सितंबर की तारीख छोड़ देते हैं तो आप 31 दिसंबर 2025 तक बेलेटेड (देर से) रिटर्न कर सकते हैं — पर इस पर जुर्माना/फीस और कुछ सीमाएँ लागू होंगी। The Economic Times+1
2) अगर देर हो गई: जुर्माना (Section 234F) कितना लगेगा?

- अगर आपकी कुल सालाना आय ₹5,00,000 से ज़्यादा है तो देर से ITR देने पर ₹5,000 तक की फीस लग सकती है (यदि आप 31 दिसंबर 2025 तक फाइल करते हैं)। www.bajajfinserv.in+1
- अगर आपकी कुल सालाना आय ₹5,00,000 या उससे कम है तो迟 filing पर फीस ₹1,000 ही लगेगी। www.bajajfinserv.in+1
- और ध्यान रखिए: अगर आप 31 दिसंबर 2025 के बाद भी दे देते हैं (परमार्थतः 31 मार्च 2026 तक), तो जुर्माना कुछ मामलों में बढ़कर ₹10,000 तक हो सकता है (लेकिन छोटे टैक्सपेयर्स पर छूट बनी रहती है)। IndiaFilings+1
3) देर से ITR फाइल करने से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं?
- Section 234F के तहत लेट-फीस देनी पड़ती है. (ऊपर बताया)। www.bajajfinserv.in
- टैक्स पर ब्याज (Section 234A/234B/234C) लग सकता है, जो आपकी देय राशि बढ़ा देगा। mint
- कुछ विशेष कर-छूट और लाभ न मिल सकेंगे — जैसे कुछ हेड के तहत नुकसान (losses) को अगले सालों में carry forward करना मुश्किल हो सकता है (खासकर व्यवसाय/कॅपिटल-गेंस losses)। यानी आप व्यापार से हुए घाटे को अगले वर्षों में कटौती के लिए नहीं ले जा पाएँगे। The Economic Times
- टैक्स का रिफंड मिलने में देरी हो सकती है और ब्याज भी प्रभावित हो सकता है। mint
- कुछ मामलों में आप टैक्स रेजिम नहीं बदल पाएँगे (उदा. पुराने और नए टैक्स रेजिम के बीच विकल्प) अगर आपने मूल-ड्यू-डेट के बाद बेलेटेड रिटर्न फाइल किया। The Economic Times
4) किसे ITR फाइल करना जरूरी है? (सरल भाषा में)

- आपकी टोटल सालाना आय रिलायबल टैक्सेबल लिमिट से ज़्यादा है (income threshold)।
- आपने साल में कहीं से कोई इनकम (salary, interest, rent, capital gains, business income, freelancing, etc.) कमाई है।
- आपने किसी भी प्रकार का टैक्स (TDS) कटवा रखा है और रिफंड चाहिए।
- आप हाउस प्रॉपर्टी बेचते हैं, निवेश बेचते हैं, या विदेशी इनकम रखते हैं — ऐसे मामलों में भी ITR आवश्यक है।
5) ITR फाइल करने से पहले क्या तैयारी रखें — दस्तावेज़
- पैन कार्ड (PAN) और आधार (Aadhaar) — PAN ज़रूरी है।
- Form 16 (यदि आप नौकरी करते हैं — employer देता है)।
- Form 26AS या Tax Credit Statement — जिसमें TDS दिखता है।
- बैंक स्टेटमेंट्स (interest आदि के लिए)।
- अगर capital gains हैं — demat/broker ledger और sale/purchase details।
- घर के किराये का प्रमाण और HRA संबंधित दस्तावेज़ (यदि दावा कर रहे हों)।
- अगर आपने investments पर deductions लिए हैं — PF, PPF, LIC receipts, 80C/80D के प्रूफ़।
- व्यवसाय/फ्रीलांस के लिए: income-expense records, audit reports (अगर लागू हो)।
- निवेशों के बॉनाफ़ाइड रिकॉर्ड (MF, shares, bonds)।
- बैंक्स का IFSC, account number (refund के लिए)।
6) ITR कैसे फाइल करें — e-filing पोर्टल के ज़रिये
- Income Tax e-filing पोर्टल पर जाएँ (https://incometaxindia.gov.in या e-filing incometaxgov portal)। आधिकारिक वेबसाइट पर लॉगिन करें। Income Tax India
- अपना PAN और पासवर्ड डालकर लॉगिन करें।
- ‘e-File’ > ‘Income Tax Return’ ऑप्शन चुनें।
- अपना assessment year (AY 2025-26) और ITR form (ITR-1/2/3/4/5 आदि) चुनें — आपकी इनकम के प्रकार के अनुसार सही form चुनना ज़रूरी है।
- स्क्रीन पर पूछे गए fields भरें: personal details, income details, deductions (80C, 80D इत्यादि), टैक्स भुगतान और TDS विवरण।
- Form 26AS और pre-filled data की जाँच करें — कई चीजें पहले से भरी मिलेंगी।
- रिव्यू कर के submit करें।
- e-Verify ज़रूरी है — बिना e-verification के return अधूरा माना जाएगा। आप e-verify Aadhaar OTP/NetBanking/EVC/DSC के जरिए कर सकते हैं।
Tip: अगर पोर्टल में ग्लिच (technical issue) आ रहा है तो screenshots लें और ज़रूरी हो तो CBDT के नोटिस/समाचार देखें — कभी-कभी ड्यू-डेट पर extension दी जाती है (जैसा अभी हुआ)। mint+1

7) कौन-सा ITR Form चुनें? (सरल नियम)
- ITR-1 (Sahaj): यदि आपकी इनकम सिर्फ salary, one house property, interest (up to certain limit) और agricultural income (छोटी) है — और आप एक व्यक्ति हैं।
- ITR-2: अगर आपकी income में capital gains या foreign income है या आप कंपनी के director हो तो।
- ITR-3: अगर आपके पास व्यवसाय या प्रोफेशनल इनकम है और P&L आदि होगा।
- ITR-4 (Sugam): presumptive taxation scheme वाले छोटे व्यवसाय/प्रोफेशनल्स के लिए।
(अगर कन्फ़्यूज़ हों तो CA से पूछें या e-filing पोर्टल पर निर्देश पढ़ें।)
8) ई-वेरिफ़िकेशन (e-Verify) क्यों ज़रूरी है?
जमा करने के बाद अगर आप उसे e-verify नहीं करते, तो रिटर्न अधूरा माना जाएगा। बिना e-verify के आप बाद में verify करने के लिए physical ITR-V भेज सकते हैं (डीपी पर भेजना होता था), पर समय बचाने के लिए e-verification (Aadhaar OTP / Netbanking / EVC / DSC) सबसे तेज़ तरीका है। आधिकारिक पोर्टल पर यह स्पष्ट है।







