Soybean ki fasal ko barwad kar rhe rog: किसान भाइयों के लिए ज़रूरी जानकारी – कैसे रोकें सोयाबीन फसल को होने वाले नुकसान और बढ़ाएं उत्पादन।
सोयाबीन की खेती में रोगों की पहचान और रोकथाम – पूरी जानकारी
भारत में सोयाबीन एक प्रमुख तिलहनी फसल है जिसे लाखों किसान उगाते हैं। लेकिन कई बार मौसम, नमी, कीट या फंगल इन्फेक्शन के कारण इसमें रोग लग जाते हैं, जिससे उपज पर भारी असर पड़ता है। इस लेख में हम जानेंगे कि सोयाबीन की फसल में कौन-कौन से रोग लगते हैं, उनके लक्षण क्या हैं और उनसे कैसे बचाव किया जा सकता है।
1. झुलसा रोग (Anthracnose)
लक्षण:
- पत्तियों और तनों पर गहरे भूरे या काले धब्बे
- टहनियों का सूखना और तना काला होना
- फली पर धब्बे और समय से पहले गिरना
बचाव:
- रोगमुक्त बीजों का प्रयोग करें
- फसल चक्र अपनाएं
- कार्बेन्डाजिम या थायोफेनेट मिथाइल जैसे फफूंदनाशक का छिड़काव करें
2. पत्ती धब्बा रोग (Leaf Spot)
लक्षण:
- पत्तियों पर छोटे गोल भूरे धब्बे
- धब्बों के चारों ओर पीला घेरा
- पत्तियों का मुरझाना और गिरना
बचाव:
- रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें
- बुवाई से पहले बीज उपचार करें
- रोग दिखने पर Mancozeb या Chlorothalonil का छिड़काव करें

3. जीवाणु झुलसा (Bacterial Blight)
लक्षण:
- पत्तियों पर पानी जैसे धब्बे जो बाद में सूखकर भूरे हो जाते हैं
- रोग ग्रसित क्षेत्र कड़ा और चमकदार हो जाता है
- पौधा सूखने लगता है
बचाव:
- रोगमुक्त बीजों का चयन करें
- बीज को स्ट्रेप्टोसाइक्लिन से ट्रीट करें
- संक्रमण दिखते ही कॉपर आधारित कीटनाशक का प्रयोग करें
4. जड़ सड़न रोग (Root Rot)
लक्षण:
- जड़ों का काला या भूरे रंग का हो जाना
- पौधे का मुरझाना
- धीरे-धीरे पूरा पौधा सूख जाना
बचाव:
- खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था रखें
- बीज को ट्राइकोडर्मा से ट्रीट करें
- रोग दिखने पर मेटालेक्सिल का प्रयोग करें
5. फली झुलसा (Pod Blight)
लक्षण:
- फली पर भूरे या काले धब्बे
- समय से पहले फली का टूटना या गिरना
- बीज विकास में रुकावट
बचाव:
- रोगमुक्त बीजों का उपयोग करें
- खेत में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें
- रोग फैलने पर प्रोपिकोनेज़ोल या टेबुकोनाज़ोल का छिड़काव करें

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सोयाबीन फसल को रोगों से बचाने के सामान्य उपाय
- बीज उपचार ज़रूरी है:
ट्राइकोडर्मा, कार्बेन्डाजिम या थिरम से बीज उपचार करने से कई बीमारियों की रोकथाम होती है। - फसल चक्र अपनाएं:
हर साल एक ही फसल लगाने से रोगों का खतरा बढ़ता है, इसलिए रोटेशन करें। - जल निकासी पर ध्यान दें:
पानी का ठहराव जड़ सड़न जैसी बीमारियों को बढ़ावा देता है। - समय-समय पर खेत का निरीक्षण करें:
किसी भी लक्षण को शुरुआती स्तर पर पहचानना जरूरी है। - संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें:
जैविक खाद, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
किसानों के लिए सुझाव
- हमेशा प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करें
- खेत की मिट्टी की जांच कर खाद और उर्वरकों का सही संतुलन रखें
- छिड़काव के लिए मौसम का ध्यान रखें – तेज धूप में या बारिश के समय दवा न छिड़कें
- किसी भी बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत कृषि अधिकारी से संपर्क करें
निष्कर्ष
सोयाबीन की फसल में रोग लगना एक आम समस्या है, लेकिन सही जानकारी, समय पर पहचान और उचित उपायों से इन रोगों से फसल को बचाया जा सकता है। यह न केवल फसल की गुणवत्ता बढ़ाता है, बल्कि किसान की आमदनी में भी इजाफा करता है। आशा है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी रहा होगा। यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो इसे जरूर शेयर करें और अन्य किसानों तक पहुँचाएं।