PITRU PAKSHA: हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष का समय अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवधि में लोग पिंडदान, स्नान और वृक्षारोपण जैसे कार्य करके पितरों को तृप्त करते हैं। यदि आप भी इस पवित्र समय में वृक्ष लगाना चाहते हैं तो कुछ नियमों और बातों का ध्यान रखना जरूरी है, अन्यथा पुण्य की जगह दोष भी लग सकता है। साथ ही खान-पान में भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
PITRU PAKSHA में कौन सा वृक्ष लगाएँ
विन्ध्यधाम की परंपरा के अनुसार इस समय ब्रह्म वृक्ष कहलाने वाले पलास के पौधे का रोपण सबसे शुभ माना जाता है। पितरों की कृपा पाने और उनकी आत्मा की शांति के लिए पलास का पौधा लगाया जाता है। यदि इसे घर के उत्तर दिशा में लगाया जाए तो सभी प्रकार के वास्तुदोष दूर हो जाते हैं। साथ ही यह भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से भी सुरक्षा प्रदान करता है। मान्यता है कि पलास का पौधा लगाने से पितरों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ध्यान रखें कि रोपते समय पौधे में कांटे न हों। यह लंबे समय तक जीवित रहने वाला वृक्ष है और वंश की वृद्धि का भी कारण बनता है।
किन वृक्षों का रोपण न करें

पितृपक्ष में पीपल का पेड़ भी शुभ माना जाता है और इसे लगाया जा सकता है। लेकिन कुछ वृक्ष ऐसे हैं जिनका रोपण इस समय वर्जित बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार नीम, आम और विशेष रूप से कटहल का पौधा पितृपक्ष में नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से पितर अप्रसन्न होते हैं और पितृ दोष लग सकता है।
खान-पान में बरतें सावधानी
इस पवित्र काल में खान-पान में भी कुछ परहेज बताए गए हैं। बैंगन की सब्जी बिल्कुल नहीं खानी चाहिए। किसी भी रूप में बैंगन का उपयोग वर्जित है। इसी तरह माताओं को लौकी और नेनुआ खाने से बचना चाहिए। दूध का सेवन तभी करना उचित है जब पहले ब्राह्मणों को भोजन कराया जा चुका हो। यदि इन बातों का पालन किया जाए तो पितृ दोष से बचा जा सकता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
PITRU PAKSHA का महत्व
हिन्दू धर्म में पितृपक्ष को बहुत पवित्र माना गया है। यह समय सिर्फ़ पूजा-पाठ का ही नहीं बल्कि अपने पूर्वजों को याद करने और उन्हें तर्पण देने का अवसर होता है। मान्यता है कि इस दौरान पितरों की आत्माएँ पृथ्वी पर आती हैं और अपने वंशजों से आशीर्वाद, दान और श्रद्धा की अपेक्षा करती हैं। इसलिए इस काल में हर छोटा-बड़ा कार्य सोच-समझकर करना चाहिए।
वृक्षारोपण का महत्व

शास्त्रों में कहा गया है कि वृक्षारोपण केवल पर्यावरण ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। PITRU PAKSHA में वृक्ष लगाने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। पलास का वृक्ष विशेष रूप से “ब्रह्म वृक्ष” माना गया है। इसे लगाने से वंश में वृद्धि होती है और जीवन में शांति बनी रहती है।
- उत्तर दिशा में पलास का पौधा : वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा धन और समृद्धि की दिशा मानी जाती है। यहां पलास का पौधा लगाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
- पीपल का पौधा : इसे भी शुभ कहा गया है। पीपल देवताओं और पितरों दोनों का प्रिय वृक्ष माना जाता है।
किन पौधों से बचें
PITRU PAKSHA में कुछ पौधों का रोपण निषिद्ध है।
- नीम : हालांकि इसे औषधीय माना जाता है, लेकिन PITRU PAKSHA में इसे लगाना वर्जित बताया गया है।
- आम और कटहल : इन वृक्षों का रोपण इस समय करना अशुभ माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि इससे पितर अप्रसन्न हो जाते हैं और पितृ दोष लगता है।
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PITRU PAKSHA में खान-पान के नियम
पितृपक्ष में आहार-विहार को भी शुद्ध और सात्विक रखना चाहिए।

- बैंगन का सेवन : इस समय बैंगन का उपयोग अशुभ माना जाता है।
- लौकी और नेनुआ : महिलाओं को विशेष रूप से इनका सेवन करने से बचना चाहिए।
- दूध का नियम : ब्राह्मणों को भोजन कराए बिना दूध नहीं पीना चाहिए।
मान्यता और फल
ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष में यदि नियमों का पालन किया जाए तो पितर प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं। इससे घर में समृद्धि आती है, वंश का विस्तार होता है और जीवन की बाधाएँ दूर हो जाती हैं। यदि नियमों की अनदेखी हो जाए तो पुण्य की बजाय दोष लगता है।
👉 PITRU PAKSHA केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का समय है। यदि हम इस काल में सही आचरण, दान, पूजा और वृक्षारोपण करें, तो पितरों की अपार कृपा जीवनभर बनी रहती है।







