NASA X-59 अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) का क्रांतिकारी विमान X-59 Quiet SuperSonic Technology (QueSST) अब पहली उड़ान के बेहद करीब पहुंच चुका है। हाल ही में हुए इसके एडवांस टैक्सी टेस्ट और ऑगमेंटेड विजन सिस्टम की सफलता ने इसे उड़ान के अंतिम पड़ाव पर ला खड़ा किया है। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि क्या है यह X-59 विमान, क्यों है यह इतना खास, और इससे दुनिया को क्या फायदा होगा।
🚀 क्या है NASA का X-59 QueSST?
X-59 नासा का एक खास सुपरसोनिक विमान है जिसे Lockheed Martin Skunk Works के साथ मिलकर बनाया गया है। इसका उद्देश्य है एक ऐसा विमान बनाना जो सुपरसोनिक गति (ध्वनि से तेज) उड़ान भरे, लेकिन बिना तेज धमाके (sonic boom) के – जिसे वैज्ञानिक भाषा में “Quiet Supersonic” कहा जाता है।
अभी तक जब कोई विमान ध्वनि से तेज उड़ता है, तो वह एक जोरदार धमाका करता है, जिससे पर्यावरण और लोगों को नुकसान होता है। X-59 इसी परेशानी का हल बनकर सामने आया है।
🛫 X-59 का एडवांस टैक्सी टेस्ट क्या है?
हाल ही में, कैलिफोर्निया स्थित NASA के आर्मस्ट्रॉन्ग फ्लाइट रिसर्च सेंटर में X-59 का एक अहम चरण – एडवांस टैक्सी टेस्ट पूरा हुआ। टैक्सी टेस्ट का मतलब होता है कि विमान को रनवे पर इंजन चालू करके धीमी और तेज गति से दौड़ाया जाता है, ताकि यह देखा जा सके कि सब सिस्टम ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं।
इस टेस्ट में देखा गया कि:
- विमान के ब्रेक सिस्टम सही हैं या नहीं
- रनवे पर कंट्रोल सिस्टम कैसे काम कर रहे हैं
- लैंडिंग गियर और स्टीयरिंग में कोई दिक्कत तो नहीं

और अच्छी खबर यह है कि X-59 ने ये सारे टेस्ट सफलतापूर्वक पास कर लिए हैं।
👁️🗨️ ऑगमेंटेड विजन सिस्टम: विमान में कोई विंडशील्ड नहीं!
X-59 की एक और खास बात है कि इसमें पारंपरिक विंडशील्ड (कॉकपिट की खिड़की) नहीं है। पायलट को रनवे देखने के लिए एक खास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना होता है, जिसे कहा जाता है eXternal Vision System (XVS)।
इस सिस्टम में:
- हाई रिजॉल्यूशन कैमरे लगाए गए हैं
- ये कैमरे सामने का लाइव व्यू पायलट को स्क्रीन पर दिखाते हैं
- यह तकनीक खासतौर से ध्वनि के प्रभाव को कम करने के लिए बनाई गई है
मतलब, विमान के आकार को ऐसा डिजाइन किया गया है जिससे Sonic Boom न हो, और पायलट को सामने देखने के लिए तकनीकी आंखें दी गई हैं।
💡 X-59 क्यों है इतना जरूरी?
X-59 सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि भविष्य की एक झलक है। इसकी मदद से:
- ध्वनि प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है
- सुपरसोनिक यात्रा को आम जनता के लिए आसान और किफायती बनाया जा सकता है
- विमान यात्रा में समय की भारी बचत होगी
- वाणिज्यिक फ्लाइट्स भी आने वाले समय में ध्वनि की दीवार पार कर पाएंगी
यह विमान एक तरह से भविष्य की फ्लाइंग टेक्नोलॉजी का ट्रायल है।
📍 X-59 की पहली उड़ान कब होगी?
नासा ने संकेत दिए हैं कि अगर सभी परीक्षण ऐसे ही सफल होते रहे, तो 2025 के अंत तक या 2026 की शुरुआत में X-59 की पहली पायलटेड उड़ान हो सकती है। पहली उड़ान के दौरान X-59 को नियंत्रित क्षेत्रों में उड़ाया जाएगा ताकि इसकी आवाज, गति, और व्यवहार का परीक्षण किया जा सके।
इस उड़ान के डेटा को दुनिया भर के एयरोनॉटिक्स इंजीनियर और नीतिनिर्माता इस्तेमाल करेंगे।
🌍 दुनिया के लिए क्या मायने रखता है X-59?
- कहीं भी तेज उड़ान संभव होगी:
X-59 जैसे विमान से दिल्ली से न्यूयॉर्क की दूरी 8 घंटे से घटकर 4 घंटे रह सकती है। - कम आवाज़, ज्यादा आराम:
Sonic Boom को कम करने से रिहायशी इलाकों में तेज आवाज़ की समस्या नहीं होगी। - नई विमानन नीति बनेंगी:
कई देशों में सुपरसोनिक उड़ानों पर बैन है। X-59 के डेटा से यह कानून बदले जा सकते हैं।

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🧠 X-59 में और कौन-कौन सी खास तकनीक है?
- ट्रांसोनिक एयरोडायनामिक डिजाइन: ताकि Sonic Boom न बने
- लाइटवेट कॉम्पोजिट बॉडी: तेज गति के लिए हल्का स्ट्रक्चर
- AI आधारित सिस्टम: नियंत्रण और डायनामिक्स को संभालने के लिए
- जैट इंजन (GE F414): जो तेज गति और उच्च ईंधन दक्षता देता है
🔍 अंतिम शब्द: क्या यह सच में बदल देगा हवाई यात्रा का भविष्य?
X-59 निश्चित तौर पर सिर्फ एक विमान नहीं है, बल्कि हवाई यात्रा की नई दिशा और दशा की शुरुआत है। जिस तरह से टैक्सी टेस्ट और टेक्नोलॉजी ने खुद को साबित किया है, उससे यह स्पष्ट है कि X-59 एक सफल उड़ान के बेहद करीब है।
अगर यह मिशन पूरी तरह सफल रहता है, तो आने वाले वर्षों में हम आवाज़ की गति से भी तेज, लेकिन पूरी शांति से यात्रा कर सकेंगे – वो भी आम यात्रियों के लिए।