Bhimashankar Jyotirling: क्या आप जानते है ‘भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग’ से जुड़ा सदियों पुराना रहस्य

Bharti gour

Bhimashankar Jyotirling: क्या आप जानते है 'भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग' से जुड़ा सदियों पुराना रहस्य
WhatsApp Group Join Now

Bhimashankar Jyotirling: भारत में स्थित 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, जो महाराष्ट्र के पुणे जिले की सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यह स्थान केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि पौराणिक महत्व से भी परिपूर्ण है। यहां शिवभक्तों को आत्मिक शांति के साथ-साथ प्रकृति की गोद में धार्मिक अनुभव प्राप्त होता है। इस लेख में हम जानेंगे इस ज्योतिर्लिंग का इतिहास, पौराणिक कथा, धार्मिक महत्व और यहां पहुंचने का मार्ग।


पौराणिक कथा: शिव और राक्षस भीम का युद्ध

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा शिव पुराण में वर्णित है। कहा जाता है कि रावण के भाई कुंभकर्ण की पत्नी कर्कटी से एक पुत्र हुआ जिसका नाम था भीम। कुंभकर्ण की मृत्यु के तुरंत बाद जन्मे भीम को जब यह ज्ञात हुआ कि भगवान राम ने उसके पिता का वध किया था, तो उसने प्रतिशोध की अग्नि में तपस्या शुरू की।

भीम ने कठिन साधना के पश्चात भगवान ब्रह्मा से बलशाली बनने का वरदान प्राप्त किया। वरदान मिलते ही उसका स्वभाव अहंकारी हो गया और उसने पृथ्वी पर आतंक फैलाना शुरू कर दिया। उसने ऋषि-मुनियों, साधु-संतों और यहां तक कि देवताओं तक को पीड़ित किया।

एक बार जब वह एक स्थान पर आया, जहां शिवभक्त पूजा में लीन थे, तो उसने उन्हें शिव की आराधना से रोककर खुद की पूजा करने को कहा। भक्तों के मना करने पर भीम ने उनका संहार करने की ठानी। तभी शिव जी ने भक्तों की रक्षा के लिए वहां प्रकट होकर भीम से युद्ध किया। कई दिनों तक चले भयंकर युद्ध के बाद भगवान शिव ने राक्षस भीम का वध किया और वहीं ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए। इसी कारण इस स्थान को भीमाशंकर कहा जाता है।

Bhimashankar Jyotirling: क्या आप जानते है 'भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग' से जुड़ा सदियों पुराना रहस्य

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का धार्मिक महत्व

भीमाशंकर न केवल एक शक्तिशाली धार्मिक स्थल है बल्कि यह स्थान भक्तों को यह संदेश भी देता है कि सच्ची भक्ति और श्रद्धा से भगवान अपने भक्तों की रक्षा स्वयं करते हैं।

  • यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 मुख्य स्वरूपों में से छठा है।
  • यहां बहने वाली भीमा नदी को शिव के पसीने से उत्पन्न माना जाता है, जो इस स्थान की पवित्रता को और बढ़ाती है।
  • भक्तों का मानना है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सभी दुखों और पापों का नाश होता है।

मंदिर की वास्तुकला और विशेषता

भीमाशंकर मंदिर की बनावट नागर शैली की है, जो शिल्पकला और प्राचीन वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। मंदिर के चारों ओर घना जंगल है, जो सह्याद्री की हरियाली से भरा हुआ है। मंदिर परिसर में शिव जी की भव्य प्रतिमा के साथ कई छोटे-छोटे मंदिर भी स्थित हैं।

यह स्थान भीमा नदी के उद्गम स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है, जिससे इस स्थान का पवित्रता और भी बढ़ जाती है। मंदिर का शांत वातावरण भक्तों को ध्यान और आत्मचिंतन में लीन कर देता है।

Bhimashankar Jyotirling: क्या आप जानते है 'भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग' से जुड़ा सदियों पुराना रहस्य

Bhimashankar Jyotirling तक कैसे पहुंचे?

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग तक पहुंचने के लिए आप विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर सकते हैं:

1. सड़क मार्ग:
पुणे से भीमाशंकर की दूरी लगभग 110 किलोमीटर है। बस, टैक्सी या प्राइवेट वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

2. रेल मार्ग:
नजदीकी रेलवे स्टेशन पुणे जंक्शन है। वहां से टैक्सी या बस सेवा उपलब्ध है।

3. हवाई मार्ग:
पुणे एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है, जहां से भीमाशंकर तक टैक्सी सेवा ली जा सकती है।

4. ट्रैकिंग और एडवेंचर के लिए:
अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो गणेश घाट या शिदगांव घाट से ट्रेकिंग के माध्यम से भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं।


यह भी पढ़ें- लाख कोशिशों के बाद भी नहीं हो रही शादी? तो इस हरियाली तीज पर करें ये चमत्कारी उपाय, मिलेगा मनपसंद जीवनसाथी

प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता

भीमाशंकर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह एक वन्यजीव अभ्यारण्य भी है। यहां पाए जाने वाले दुर्लभ जीवों में मालाबार जायंट स्क्विरल (विशाल गिलहरी) प्रमुख है। हरियाली, झरने, और ठंडी हवा इस स्थान को प्रकृति प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग बना देती है।


भक्तों के लिए सुझाव

  • सुबह और शाम के आरती में भाग लेना एक दिव्य अनुभव होता है।
  • भीमाशंकर आने से पहले मौसम की जानकारी जरूर लें, क्योंकि बारिश के मौसम में रास्ते फिसलन भरे हो सकते हैं।
  • मंदिर के पास प्रसाद, पुजा सामग्री, और रहने की सुविधा भी आसानी से उपलब्ध है।

Bhimashankar Jyotirling

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह श्रद्धा, शक्ति और शिव भक्ति का प्रतीक है। यहां की पौराणिक कथा, प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा इसे एक ऐसा स्थल बनाते हैं, जिसे हर शिवभक्त को जीवन में एक बार अवश्य देखना चाहिए।

Leave a Comment