Ashtami Poojan: हिन्दू धर्म में “Ashtami” का विशेष महत्व

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Ashtami Poojan: हिन्दू धर्म में "Ashtami" का विशेष महत्व
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Ashtami Poojan का मतलब है आठवें दिन की पूजा। यह शब्द विशेषकर नवरात्रि, करवा चौथ, छठ या किसी भी धार्मिक पर्व में इस्तेमाल हो सकता है जहाँ आठवाँ दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। पर आमतौर पर हिन्दू धर्म में “Ashtami” का विशेष महत्व है — जैसे दुर्गा अष्टमी (शारदीय नवरात्रि में), करवा चौथ के आसपास सूतक हटने के बाद आदि।

किस‑किस अवसर पर Ashtami Poojan होता है?

  1. Durga Ashtami (शारदीय नवरात्रि की अष्टमी): नवरात्रि का आठवाँ दिन, जब मां दुर्गा की आराधना की जाती है।
  2. Saptami‑Ashtami सन्धि: कुछ स्थानों पर त्योहार का प्रमुख दिन अष्टमी को माना जाता है।
  3. लॉकल/परिवारिक परंपराएँ: घर‑परिवार में किसी विशेष घटना की खुशी या स्मरण में अष्टमी पर पूजा की जाती है।
  4. व्यक्तिगत व्रत/कर्जमुक्ति: मनोकामना पूरी होने पर कृतज्ञता के रूप में भी अष्टमी पूजन किया जाता है।

Ashtami Poojan का महत्व

  • आध्यात्मिक शक्ति: आठ नंबर हिंदू धर्म में एक शक्तिशाली संख्या मानी जाती है। अष्टमी पर की गई पूजा से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
  • मां की अराधना: दुर्गा अष्टमी में माता का विशेष पूजन होता है — बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक।
  • समाज और परिवार के जुड़ाव: घर‑परिवार एकत्र होकर पूजा करते हैं, जिससे रिश्ते मजबूत होते हैं।
  • व्रत और तप: व्रत रखने से मन का संयम बढ़ता है और इच्छाओं पर नियंत्रण आता है।

Ashtami Poojan की तैयारी

पूजा की सामान्य सामग्री
  • एक साफ़ चादर या पूजा चोखा।
  • मूर्ति या तस्वीर (माता/ईश्वर) — अगर दुर्गा अष्टमी है तो दुर्गा माता की मूर्ति/चित्र।
  • दीपक (घी या तेल), अगरबत्ती।
  • फूल (कम से कम दो प्रकार), फूल‑पात्र।
  • रोली/कुंकुम, चावल (अक्षत)।
  • नैवेद्य के लिए फल, मिठाई या प्रसाद।
  • पीली या लाल कपड़ा (यदि परंपरा में माँ को चढ़ाना हो)।
  • अगर आवश्यक हो तो रंगोली, मिट्टी या हल्दी।
  • कांटे, चम्मच, थाली — जो भी जरूरत हो।
घर की तैयारी
  1. पूजा स्थल को साफ और शुद्ध रखें।
  2. सुबह हल्का सा झाड़ू लगाकर जगह तैयार करें।
  3. पूजा से पहले स्नान और शुद्ध वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
  4. यदि परिवार में ब्राह्मण या पुजारी बुलाना हो तो समय के अनुसार पहले से बुला लें।

Ashtami Poojan — आसान पूजा विधि

  • 1. स्नान और शुद्ध कपड़े: पूजा करने से पहले नहा‑धोकर शुद्ध कपड़े पहनें। पानी से नहाकर मन को भी शांत रखें।
  • 2. पूजा स्थल सजाना: पूजा की मेज़/मंच पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं। मूर्ति/चित्र रखें। दीपक, अगरबत्ती और नैवेद्य की थाली तैयार रखें।
  • 3. घी का दीपक और अगरबत्ती जला दें: दीपक जलाकर ‘‘ॐ दीपाय नमः’’ का संक्षिप्त उच्चारण करें। अगरबत्ती से वातावरण सुगंधित हो जाएगा।
  • 4. अभिषेक (यदि इमाटी के साथ): यदि मूर्ति है और परंपरा में हो तो पानी, दूध, दही, मिश्री आदि से हल्का अभिषेक करें।
  • 5. पूजा‑प्रार्थना और मंत्र
  • मां दुर्गा के सामने प्रणाम करें और मन से प्रार्थना करें।
  • सरल मंत्र: “ॐ दुर्गायै नमः” (3‑11 बार) — ये बिल्कुल आसान है।
  • अगर पारंपरिक व्यक्ति है तो आप स्तोत्र/श्लोक भी पढ़ सकते हैं।
  • 6. अर्घ्य और फूल चढ़ाना: फूल और अक्षत चढ़ाएं। रोली‑कुंकुम से तिलक लगाएं।
  • 7. प्रसाद अर्पण: फलों या मिठाई का प्रसाद अर्पित करें। फिर परिवार में बांट दें।
  • 8. आरती: आरती गाएं या आरती की थाली घमा कर आरती करें। आरती के बाद देवता के सामने आरती फल दें और परिवार को भी दें।
  • 9. वंदन और समापन: पूजा के बाद परिवार के साथ मिलकर शांति‑प्रार्थना करें। फिर वातावरण को साफ़ करें।

Ashtami Poojan Vrat के नियम

  1. स्नान और पवित्रता: व्रत वाले दिन सुबह स्नान ज़रूरी है।
  2. भोजन: कुछ लोग निर्जल व्रत रखते हैं (बिना भोजन के), कुछ उपवास के दौरान फल और शराब‑मुक्त भोजन खाते हैं। परंपरा के अनुसार चलें।
  3. समय: व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले या रात भर की जा सकती है — यह घर की परंपरा पर निर्भर करता है।
  4. समापन: व्रत सूर्यास्त के बाद पूजन करके मिटाया जाता है या अगले दिन उगते सूर्य के साथ।
  5. संकल्प: व्रत से पहले निश्चय करना चाहिए कि किस कारण से व्रत रखा जा रहा है (मनोकामना, कर्ज मुक्त होना, कृतज्ञता)।

विशेष विधियाँ — Durga Ashtami (नवरात्रि की अष्टमी)

नवरात्रि की अष्टमी का अपना अलग महत्व है। शारदीय नवरात्रि में देवी की अंतिम दो रातें (सप्तमी‑अष्टमी) बहुत पवित्र मानी जाती हैं। Ashtami Poojan दिन विशेष रूप से निम्न किया जाता है:

  • Kanya Pujan (कन्या पूजन): 8 या 9 कन्याओं का पूजन कर उनकी सेवा और भोजन कराकर देवी की सेवा माना जाता है।
  • Navavarana Puja या Shodashopachara: पारंपरिक 16‑उपचार (Shodashopachara) के अनुसार किया जा सकता है — पर घर में सरल रूप से फूल, रोली, अक्षत, फल, नैवेद्य आदि अर्पित कर दें।
  • Havan या Yagna: कुछ परिवार अग्निहोत्र या यज्ञ करते हैं — घर पर नहीं कर रहे हों तो मंदिर में भाग ले सकते हैं।

मनtras और श्लोक

यहाँ कुछ छोटा‑सा और आसान मंत्र दिए जा रहे हैं जो घर पर बिना किसी विशेषज्ञ के भी बोले जा सकते हैं।

  1. ॐ दुर्गायै नमः
  2. ॐ नमः शिवाय (यदि शिव को भी पूजते हैं)
  3. ॐ श्री गणेशाय नमः — पूजा का आरम्भ गणेश वंदना से करें।

एक छोटा श्लोक (दुर्गा स्तुति का संक्षेप):

या देवी सर्वभू‍तेषु मातृरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Ashtami Poojan का प्रसाद और रसोई

  • 1. फल और खजूर का थाल: सरल, जल्दी तैयार और शुद्ध। केले, सेब, अंगूर और खजूर रखें।
  • 2. सूखे मेवे की मिठाई: सूखे मेवों को भिगोकर, थोड़ी घी में भूनकर शक्कर मिलाकर हल्का पकाया जा सकता है।
  • 3. साबुदाना खिचड़ी; साबुदाना, उबले हुए आलू, थोड़ा नमक और छौंका। व्रत में भी पढ़ी जाने वाली सरल रेसिपी।
  • 4. फल‑दही: कटे हुए फल और दही — जल्दी और पवित्र।

Ashtami Poojan के समय

  • आमतौर पर पूजा का सबसे शुभ समय सुबह प्रातःकाल माना जाता है।
  • नवरात्रि Ashtami Poojan की आरती और पूजा शाम के समय भी की जा सकती है, खासकर जब परिवार इकठ्ठा हो।
  • अगर आप पुरोहित/पंडित बुला रहे हैं तो उन्हीं के बताए वक्त पर पूजा करवाएँ।

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