किसानों के लिए वरदान बनी “पाम ऑयल की खेती” एक बार लगाएं, 30 साल तक कमाएं

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किसानों के लिए वरदान बनी "पाम ऑयल की खेती" एक बार लगाएं, 30 साल तक कमाएं
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पाम ऑयल की खेती: छत्तीसगढ़ के किसान अब ऐसी खेती की ओर बढ़ रहे हैं, जो उन्हें कई दशकों तक लगातार आय का स्रोत दे सकती है। राज्य और केंद्र सरकार मिलकर राष्ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पाम मिशन के अंतर्गत पॉम ऑयल की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। इस योजना के तहत अब तक प्रदेश में 2,682 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर पाम के पौधों का रोपण किया जा चुका है।

पाम ऑयल आज दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला वनस्पति तेल है, जिसका उपयोग बिस्किट, चॉकलेट, मैगी, स्नैक्स, साबुन, क्रीम, डिटर्जेंट से लेकर बायोफ्यूल तक में होता है। यही वजह है कि इसकी मांग लगातार बढ़ रही है और किसानों के लिए यह एक स्थायी कमाई का जरिया बन रहा है।


क्यों खास है पाम की खेती?

  • लंबी अवधि की कमाई – एक बार पौध रोपण के बाद 25 से 30 वर्षों तक उत्पादन जारी रहता है।
  • उच्च उत्पादकता – एक हेक्टेयर से सालाना 15-20 टन उपज मिल सकती है।
  • अच्छी बाजार मांग – खाद्य और गैर-खाद्य उद्योगों में लगातार खपत।
  • सरकारी मदद – केंद्र और राज्य दोनों से अनुदान और प्रशिक्षण की सुविधा।

देशभर में तेजी से बढ़ रहा है palm oil cultivation

केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता घटाई जाए और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हो। नेशनल मिशन ऑन ईडेबल ऑयल के तहत अब तक देशभर में 3.5 लाख हेक्टेयर में पाम का रोपण हो चुका है।

वर्ष 2024-25 में घरेलू उत्पादन में 15% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, और 2029-30 तक इसका उत्पादन 28 लाख टन तक पहुंचाने का लक्ष्य है। तेलंगाना, असम, मिजोरम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाकों में यह खेती रोजगार और आय का नया साधन बन रही है।

किसानों के लिए वरदान बनी "पाम ऑयल की खेती" एक बार लगाएं, 30 साल तक कमाएं

छत्तीसगढ़ के 17 जिलों में हो रही खेती

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और कृषि मंत्री रामविचार नेताम के नेतृत्व में राज्य सरकार किसानों को उद्यानिकी फसलों, खासकर पाम की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। वर्तमान में यह खेती बस्तर, कोण्डागांव, कांकेर, सुकमा, नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, महासमुंद, रायगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़, जाजगीर-चापा, दुर्ग, बेमेतरा, जशपुर, सरगुजा, कोरबा और बिलासपुर में की जा रही है।

पिछले चार साल में 1,150 किसानों ने लगभग 1,600 हेक्टेयर में पाम का रोपण किया है, जबकि इस वर्ष 802 किसानों ने 1,089 हेक्टेयर में पौध लगाए हैं।


पाम ऑयल की खेती

रायगढ़ के ग्राम चक्रधरपुर के किसान राजेंद्र मेहर ने 10 एकड़ जमीन पर 570 पाम पौधे लगाए हैं। उनकी जमीन लंबे समय से खाली थी, लेकिन उद्यान विभाग से मार्गदर्शन और प्रशिक्षण मिलने के बाद उन्होंने यह खेती शुरू की। अब उन्हें आने वाले वर्षों में लाखों रुपये की स्थायी आमदनी की उम्मीद है।

इसी तरह महासमुंद जिले में 611 हेक्टेयर में यह खेती हो रही है और किसान धीरे-धीरे इसे अपनाने लगे हैं।


सरकारी सहायता और अनुदान योजना

उद्यानिकी विभाग के मुताबिक:

  • प्रति हेक्टेयर 29 हजार रुपये मूल्य के 143 पौधे मुफ्त दिए जाते हैं।
  • पौध रोपण, फेंसिंग, सिंचाई और रखरखाव में लगभग 4 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर खर्च आता है।
  • केंद्र सरकार 1 लाख रुपये और राज्य सरकार 1 लाख रुपये का अनुदान देती है।
  • बाकी राशि के लिए बैंक ऋण की सुविधा उपलब्ध है।

इसके साथ ही सरकार द्वारा किसानों की मदद करने के उद्देश्य से ड्रिप इरिगेशन, Borewell मशीन, पम्प सेट, वाटर हार्वेस्टिंग system, वर्मी कम्पोस्ट यूनिट, सिचाई के पाइप, पॉम कटर और ट्रैक्टर ट्रॉली जैसी मशीनरी पर भी सब्सिडी दी जा रही है।

किसानों के लिए वरदान बनी "पाम ऑयल की खेती" एक बार लगाएं, 30 साल तक कमाएं

तीसरे साल से शुरू होता है उत्पादन

पाम के पौधे लगाने के तीसरे वर्ष से फल मिलना शुरू हो जाता है, और यह उत्पादन 25-30 साल तक जारी रहता है। समय के साथ पौधों की उम्र बढ़ने पर उपज भी बढ़ती है।

  • एक हेक्टेयर से आय – 15 से 20 टन उपज
  • वार्षिक कमाई – 2.5 से 3 लाख रुपये

बिक्री की कोई दिक्कत नहीं – समर्थन मूल्य की गारंटी

किसानों को फसल बेचने की चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार ने अनुबंधित कंपनियों के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का इंतजाम किया है। कंपनियां किसानों के खेत से ही उपज खरीदकर भुगतान सीधे बैंक खाते में करती हैं।

पौधों के बीच पर्याप्त जगह होने से किसान वहां सब्जियों के साथ अन्य बीच की फसलें भी उगा सकते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय का लाभ मिलता है। वहीं, यदि किसान 2 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में पाम का रोपण करते हैं तो उन्हें 50 हजार रुपये तक का अतिरिक्त अनुदान भी प्रदान किया जाता है।


पाम ऑयल की खेती

छत्तीसगढ़ में पाम ऑयल की खेती किसानों के लिए एक लंबी अवधि का निवेश साबित हो रही है। यह न केवल उन्हें हर साल लाखों रुपये की आय देती है, बल्कि राज्य को खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करती है।

सरकारी योजनाओं, अनुदान और तकनीकी मार्गदर्शन के साथ पाम ऑयल की खेती उन किसानों के लिए सोने की खान है, जो स्थायी और लाभदायक खेती का सपना देख रहे हैं।

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