थाईलैंड-कंबोडिया विवाद सुलझने की ओर: मलेशिया में शांति वार्ता से उम्मीदें बढ़ीं

jagatexpress.com

थाईलैंड-कंबोडिया विवाद सुलझने की ओर: मलेशिया में शांति वार्ता से उम्मीदें बढ़ीं
WhatsApp Group Join Now

दक्षिण-पूर्व एशिया इन दिनों एक गंभीर भू-राजनीतिक विवाद से गुजर रहा है, जिसमें थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर को लेकर संघर्ष बढ़ गया है। यह विवाद सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह एक मानवीय संकट का रूप ले चुका है। ऐसे हालात में मलेशिया ने दोनों देशों को मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया है, जिसे स्वीकार भी कर लिया गया है। अब दोनों देशों के नेता मलेशिया में मुलाकात कर संघर्षविराम की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

थाईलैंड-कंबोडिया विवाद सुलझने की ओर: मलेशिया में शांति वार्ता से उम्मीदें बढ़ीं

🔷 मलेशिया में अहम मुलाकात की तैयारी

मलेशिया के विदेश मंत्री मुहम्मद हसन के अनुसार, सोमवार को थाईलैंड और कंबोडिया के प्रतिनिधिमंडल कुआलालंपुर में शांति वार्ता करेंगे। यह पहल क्षेत्रीय शांति की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। बता दें कि यह बैठक मलेशिया की ओर से दी गई मध्यस्थता की पेशकश के बाद आयोजित हो रही है, जिसे दोनों देशों ने सहमति दी है।


🔷 अमेरिका की भूमिका: ट्रंप की अपील

इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हस्तक्षेप किया है। उन्होंने फोन के माध्यम से दोनों देशों के नेताओं से बातचीत की और तत्काल संघर्ष रोकने की अपील की। इतना ही नहीं, ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि युद्ध नहीं रुका तो अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापारिक संबंधों पर पुनर्विचार करेगा। उनके इस सख्त रुख के बाद दोनों देशों ने अमेरिका को धन्यवाद कहा और मलेशिया में वार्ता पर सहमति जताई।


🔷 मलेशिया क्यों बना मध्यस्थ?

मलेशिया इस समय आसियान (ASEAN) संगठन की अध्यक्षता कर रहा है, जिससे उसका यह दायित्व बनता है कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा दे। मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम ने हाल ही में थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष पर चिंता जताते हुए शांति की अपील की थी और दोनों देशों को बातचीत का निमंत्रण भेजा था।


🔷 थाई और कंबोडियन नेताओं की भागीदारी

थाईलैंड की ओर से कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाइ इस वार्ता में शामिल होंगे। वे प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम के विशेष निमंत्रण पर कुआलालंपुर पहुंचेंगे। वहीं, कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेत भी इस वार्ता में भाग लेंगे। दोनों देशों के नेता शांति बहाली के लिए संभावित समाधान और संघर्षविराम पर चर्चा करेंगे।


🔷 विवाद की जड़: शिव मंदिर

इस संघर्ष की मुख्य वजह सीमा पर स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है, जिसे दोनों देश अपना बताते हैं। यह मंदिर ना केवल धार्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी अहम स्थान पर स्थित है। इसके स्वामित्व को लेकर लंबे समय से विवाद चलता आ रहा है, लेकिन हाल के दिनों में यह संघर्ष खूनी मोड़ ले चुका है।


🔷 मौजूदा हालात: युद्ध से मानवीय संकट

संघर्ष के चलते अब तक 33 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, और करीब 2 लाख लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हुए हैं। सीमा पर गोलीबारी, रॉकेट हमले और बमबारी जारी है, जिससे हालात हर दिन बिगड़ते जा रहे हैं। स्थानीय आबादी के लिए यह एक गंभीर मानवीय संकट बन गया है।

READ THIS – Aaj Ka Rashifal 21 July 2025: भोलेनाथ की कृपा से रिश्तों में बनी रहेगी मिठास और पॉजिटिव एनर्जी, जानिए आपकी राशि का हाल


🔷 क्षेत्रीय शांति की उम्मीद

मलेशिया की पहल और दोनों देशों की सहमति से अब यह उम्मीद की जा रही है कि युद्ध की आग पर पानी डाला जा सकेगा। अगर शांति वार्ता सफल रहती है, तो यह न सिर्फ इन दो देशों के लिए राहत की बात होगी, बल्कि पूरे दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के लिए स्थिरता का संकेत होगा।


🔷 आसियान की सक्रिय भूमिका

आसियान संगठन की अध्यक्षता कर रहा मलेशिया यह प्रयास कर रहा है कि क्षेत्रीय मुद्दों को आपसी संवाद से सुलझाया जाए। इस विवाद में उसकी पहल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जा रहा है। आसियान का मूल उद्देश्य ही यही है कि सदस्य देशों के बीच मतभेद युद्ध की बजाय वार्ता से हल हों।

थाईलैंड-कंबोडिया विवाद सुलझने की ओर: मलेशिया में शांति वार्ता से उम्मीदें बढ़ीं

थाईलैंड-कंबोडिया विवाद

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहे विवाद ने पूरे क्षेत्र को चिंता में डाल दिया है। मलेशिया में होने वाली यह बैठक इस दिशा में एक उम्मीद की किरण है। अगर बातचीत सफल होती है, तो यह न केवल शिव मंदिर विवाद को हल करने में मदद करेगी, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थायी शांति और सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

Leave a Comment