खेती से चाहिए मुनाफा तो बदलें सोयाबीन की खेती का तरीका!! देखिए मिट्टी, तापमान, खाद और बीज की पूरी जानकारी

Anand Patel

खेती से चाहिए मुनाफा तो बदलें सोयाबीन की खेती का तरीका!! देखिए मिट्टी, तापमान, खाद और बीज की पूरी जानकारी
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सोयाबीन की खेती: भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां पर कई तरह की फसलों की खेती की जाती है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण फसल है सोयाबीन। सोयाबीन को ‘सोने की फसल’ भी कहा जाता है क्योंकि इससे न केवल अच्छा मुनाफा होता है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता को भी सुधारती है। लेकिन इसका अधिक उत्पादन तभी संभव है जब आप इसकी खेती में उचित समय, सही मिट्टी, अनुकूल तापमान और बीज उपचार का ध्यान रखें।

इस लेख में हम आपको सोयाबीन की खेती से जुड़ी हर जरूरी जानकारी आसान और सीधी भाषा में देने जा रहे हैं।


🌱 1. सोयाबीन की खेती का सही समय

सोयाबीन खरीफ की फसल है और इसे मानसून के समय बोया जाता है। इसका सही बुवाई का समय जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक होता है।

अगर बारिश समय पर हो जाए तो इसकी बुवाई जून के मध्य में भी की जा सकती है। बहुत जल्दी या बहुत देर से बुवाई करने पर फसल को नुकसान हो सकता है और उत्पादन कम हो सकता है।


खेती से चाहिए मुनाफा तो बदलें सोयाबीन की खेती का तरीका!! देखिए मिट्टी, तापमान, खाद और बीज की पूरी जानकारी

🌍 2. मिट्टी का चयन और तैयारी

सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन बहुत जरूरी है। इसे करने से पहले ध्यान दें:

  • काली दोमट या हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
  • मिट्टी की pH वैल्यू 6.0 से 7.5 होनी चाहिए।
  • मिट्टी में जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि सोयाबीन पानी में ज्यादा देर रहने पर सड़ सकती है।

खेत की तैयारी कैसे करें:

  • पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें।
  • इसके बाद 2-3 बार देशी हल या रोटावेटर से जुताई कर लें।
  • खेत को समतल और भुरभुरा बनाना जरूरी है।
  • 15-20 टन गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालना फायदेमंद रहेगा।

🌡️ 3. तापमान और जलवायु

सोयाबीन की खेती के लिए उमस भरा और गर्म मौसम अच्छा होता है। ध्यान रखें:

  • अंकुरण के लिए तापमान 25°C से 30°C होना चाहिए।
  • फसल बढ़ने के दौरान अधिकतम तापमान 30°C से 35°C हो सकता है।
  • अत्यधिक वर्षा या बहुत अधिक सूखा दोनों इसके लिए नुकसानदायक हैं।

अगर बारिश बहुत हो रही हो तो खेत में जल निकासी की विशेष व्यवस्था करें।


🌾 4. बीज चयन और बीज उपचार

अच्छा बीज = अच्छी फसल। इसलिए निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखें:

✅ बीज का चयन:

  • प्रमाणित और अच्छी गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग करें।
  • JS 95-60, JS 20-29, NRC 37, NRC 127, RVS 2001-4 जैसी किस्में प्रसिद्ध हैं।
  • प्रति हेक्टेयर लगभग 75 से 80 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

✅ बीज उपचार क्यों और कैसे करें?

बीज उपचार का मतलब है बीज को बोने से पहले रोगाणुरहित करना। इससे फसल स्वस्थ रहती है और बीमारियों से बचाव होता है।

बीज उपचार में इनका उपयोग करें:

  • थिरम 2 ग्राम प्रति किलो बीज
  • कार्बेन्डाजिम (Bavistin) 1 ग्राम प्रति किलो बीज
  • Rhizobium कल्चर भी लगाएं ताकि नाइट्रोजन फिक्सेशन में मदद मिल सके।

बीज उपचार की विधि:

  1. बीज को साफ पानी से धो लें।
  2. दवा को थोड़े से पानी में घोल लें और बीजों पर छिड़कें।
  3. छाया में सुखाकर ही बुवाई करें।
खेती से चाहिए मुनाफा तो बदलें सोयाबीन की खेती का तरीका!! देखिए मिट्टी, तापमान, खाद और बीज की पूरी जानकारी

🌾 5. बुवाई की विधि

  • बीजों को 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइन में बोएं।
  • पौधे से पौधे की दूरी लगभग 5 से 10 सेंटीमीटर रखें।
  • बीज को 3-5 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं।
  • बोने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें यदि मिट्टी में नमी न हो।

💧 6. सिंचाई और जल प्रबंधन

  • सामान्यतः सोयाबीन को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती।
  • लेकिन अत्यधिक सूखे में 2-3 बार हल्की सिंचाई जरूरी हो सकती है – खासकर फूल और दाने बनने के समय।

ध्यान रखें – जलभराव से सोयाबीन को बचाएं।


🐛 7. रोग और कीट नियंत्रण

कुछ सामान्य रोग और कीट जो सोयाबीन को प्रभावित कर सकते हैं:

रोग / कीटलक्षणउपाय
येलो मोज़ेक वायरसपत्तियां पीली पड़नारोगग्रस्त पौधों को निकालना, सफेद मक्खी नियंत्रण
झुलसा रोगपत्तियों पर भूरे दागबाविस्टिन या मैंकोजेब का छिड़काव
चूसक कीटपत्तियों को नुकसाननीम का तेल या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव

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📦 8. कटाई और उत्पादन

  • फसल 90-110 दिन में तैयार हो जाती है।
  • जब पत्तियां पीली होकर गिरने लगें और फलियों का रंग बदल जाए, तब कटाई करें।
  • हाथ या मशीन दोनों से कटाई की जा सकती है।

उत्पादन:
सामान्यत: 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है यदि सभी उपाय ठीक तरह से किए जाएं।


✅ सोयाबीन की खेती

सोयाबीन की खेती अगर वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो यह किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक साबित हो सकती है। इसके लिए समय का पालन, उपयुक्त मिट्टी, तापमान और बीज की देखभाल अत्यंत जरूरी है। साथ ही बीज उपचार और सिंचाई का सही प्रबंधन भी इस फसल की सफलता का मुख्य आधार हैं।

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