Universe missing half: विज्ञान की दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य। हम सबने कभी न कभी ये सवाल ज़रूर सोचा होगा – ब्रह्मांड में सबकुछ कहाँ से आया और क्या कुछ गायब भी है? विज्ञान की एक गूढ़ और रोचक थ्योरी बताती है कि ब्रह्मांड का “आधा हिस्सा” अब तक गायब है। यह हिस्सा है – एंटीमैटर (Antimatter)।
जब हम ब्रह्मांड की शुरुआत की बात करते हैं यानी बिग बैंग की, तो माना जाता है कि मैटर (सामान्य पदार्थ) और एंटीमैटर एक साथ बने थे। लेकिन आज जो ब्रह्मांड हम देखते हैं, वह सिर्फ मैटर से भरा है – एंटीमैटर कहां गया?
एंटीमैटर क्या होता है?
साधारण भाषा में समझें तो एंटीमैटर, मैटर का उल्टा संस्करण होता है। जैसे इलेक्ट्रॉन निगेटिव चार्ज का होता है, वैसे ही एंटीमैटर में उसका उल्टा पार्टिकल होता है – पॉजिट्रॉन, जो पॉजिटिव चार्ज का होता है।
हर पार्टिकल का एक एंटीपार्टिकल होता है:
मैटर | एंटीमैटर |
---|---|
इलेक्ट्रॉन (-) | पॉजिट्रॉन (+) |
प्रोटॉन (+) | एंटीप्रोटॉन (-) |
न्यूट्रॉन (0) | एंटीन्यूट्रॉन (0) |
जब मैटर और एंटीमैटर एक-दूसरे से टकराते हैं, तो दोनों नष्ट (annihilate) हो जाते हैं और पूरी ऊर्जा में बदल जाते हैं। यही प्रक्रिया हमें ब्रह्मांड की गहराइयों को समझने का रास्ता देती है।

एंटीमैटर की खोज कैसे हुई?
एंटीमैटर का आइडिया पहली बार 1928 में वैज्ञानिक पॉल डिराक ने दिया था। उन्होंने थ्योरी के माध्यम से ये बताया कि हर कण का एक “एंटी-कण” भी होता है। 1932 में कार्ल एंडरसन ने पहली बार पॉजिट्रॉन की खोज की और एंटीमैटर के अस्तित्व की पुष्टि की।
इसके बाद वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के ज़रिए एंटीप्रोटॉन और एंटीन्यूट्रॉन भी खोज निकाले।
तो फिर एंटीमैटर कहां है?
यही विज्ञान का सबसे बड़ा सवाल है – अगर एंटीमैटर भी मैटर जितना ही बना था, तो वह गया कहां?
कुछ प्रमुख थ्योरीज़ के अनुसार:
- असंतुलन की थ्योरी: बिग बैंग के समय मैटर और एंटीमैटर बराबर मात्रा में नहीं बने थे। थोड़ी मात्रा में ज़्यादा मैटर बना और वही आज भी मौजूद है।
- छिपा ब्रह्मांड: एंटीमैटर किसी ऐसे कोने में मौजूद हो सकता है जहां हम देख नहीं पा रहे।
- नष्ट हो गया: मैटर और एंटीमैटर एक-दूसरे से टकराकर ऊर्जा में बदल गए, बस थोड़ा-सा मैटर बचा रहा – वही आज का ब्रह्मांड है।
एंटीमैटर के साथ आज क्या हो रहा है?
CERN (यूरोपियन ऑर्गनाइज़ेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च) जैसे संस्थान एंटीमैटर को बनाने और स्टडी करने में लगे हुए हैं। हालांकि एंटीमैटर बनाना बेहद महंगा है। कुछ मिलीग्राम एंटीमैटर बनाने में करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं।

एंटीमैटर का भविष्य में क्या उपयोग हो सकता है?
अगर हम एंटीमैटर को नियंत्रित रूप से बना और संजो पाए, तो इसके कई संभावित उपयोग हैं:
- ऊर्जा का स्रोत:
एंटीमैटर-मैटर की प्रतिक्रिया से बहुत ज्यादा ऊर्जा मिलती है। इससे भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा संभव हो सकती है। - मेडिकल साइंस:
PET स्कैन (Positron Emission Tomography) जैसे तकनीकें पहले से ही एंटीमैटर का उपयोग करती हैं। - बम बनाने में:
दुर्भाग्यवश, कुछ रिसर्च एंटीमैटर को हथियारों में उपयोग करने की दिशा में भी जाती है, जो खतरे का संकेत है।
एंटीमैटर क्यों मायने रखता है?
- ब्रह्मांड का संतुलन समझने के लिए
- पदार्थ कैसे बना, इसका पता लगाने के लिए
- भविष्य की ऊर्जा खोजने के लिए
- अंतरिक्ष की यात्रा को आसान बनाने के लिए
Universe missing half
आज भले ही एंटीमैटर विज्ञान की दुनिया के सबसे रहस्यमयी विषयों में से एक हो, लेकिन भविष्य में यही एंटीमैटर हमारे लिए ऊर्जा, चिकित्सा और अंतरिक्ष के नए दरवाजे खोल सकता है।
जैसे-जैसे विज्ञान आगे बढ़ेगा, हम ब्रह्मांड की मिसिंग आधी दुनिया को और बेहतर समझ पाएंगे। हो सकता है आने वाले समय में एंटीमैटर ही हमें ब्रह्मांड की सबसे बड़ी पहेलियों का जवाब दे!