कपास की फसल पर वायरस का कहर! शिवराज सिंह चौहान ने दिया फसल बचाने का समाधान

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कपास की फसल पर वायरस: टीएसवी वायरस से कपास की फसल पर असर, किसानों की मदद को सरकार ने उठाया कदम, 11 जुलाई को कोयंबटूर में विशेषज्ञों के साथ बैठक तय। देश में कपास उत्पादन को लेकर चिंता का माहौल बन गया है। हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मुद्दे पर अपनी गंभीरता जाहिर की है।

उन्होंने बताया कि बीटी कपास को एक विशेष वायरस टीएसवी (Tobacco Streak Virus) से नुकसान हुआ है, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आई है। किसानों को राहत देने और इस स्थिति को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने ठोस कदम उठाने का फैसला किया है।


कपास की घटती पैदावार बनी चिंता का विषय

देश में कपास उत्पादन पिछले कुछ वर्षों में गिरावट की ओर है। इससे कपास उत्पादक किसान बड़ी आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं। मंत्री चौहान ने जानकारी दी कि बीटी कपास की फसलें टीएसवी वायरस के प्रभाव में आकर खराब हो रही हैं। इस वायरस का असर कपास की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर पड़ा है।

उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य सिर्फ उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि किसानों की लागत भी घटाना है, ताकि खेती लाभकारी बनी रहे।


कोयंबटूर में होगी विशेष बैठक

केंद्र सरकार ने इस चुनौती का समाधान ढूंढने के लिए 11 जुलाई को कोयंबटूर में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। यह बैठक सुबह 10 बजे आयोजित होगी, जिसमें कृषि क्षेत्र के दिग्गजों और प्रभावित पक्षों को आमंत्रित किया गया है।

इस बैठक का मकसद है –

  • वायरस प्रतिरोधी बीज विकसित करने के तरीकों पर चर्चा
  • जलवायु के अनुकूल बीज तैयार करना
  • किसानों की उत्पादन लागत कम करने के उपाय
  • नए कृषि अनुसंधान मॉडल अपनाने पर विचार

बैठक में कौन-कौन रहेगा शामिल?

यह बैठक एक मल्टी-स्टेकहोल्डर प्लेटफॉर्म होगी, जिसमें शामिल होंगे –

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक और वैज्ञानिक
  • कपास उगाने वाले प्रमुख राज्यों के कृषि मंत्री
  • राज्य सरकारों के अधिकारी
  • कपास किसानों और उनके संगठनों के प्रतिनिधि
  • कपास उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ
  • कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिक और प्रोफेसर

इस तरह यह एक व्यापक विचार-मंच होगा, जहां खेत से लेकर प्रयोगशाला और नीति तक सभी पक्ष एकत्र होकर हल निकालने की कोशिश करेंगे।


सरकार की प्राथमिकता: टिकाऊ और सुरक्षित बीज विकास

कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि हमारी प्राथमिकता है ऐसे बीजों का विकास करना जो –

  • टीएसवी जैसे वायरस का मुकाबला कर सकें
  • मौसम की बदलती स्थितियों को झेल सकें
  • अधिक उत्पादन देने में सक्षम हों
  • किसानों के लिए सस्ती और सुलभ हों

उन्होंने यह भी जोड़ा कि कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और तकनीक का प्रयोग अब समय की मांग है।


कपास की फसल पर वायरस के लिए किसानों से सुझाव मांगे गए

सरकार केवल नीति बनाकर ही नहीं, जन भागीदारी से काम करना चाहती है। कृषि मंत्री ने देशभर के किसानों और विशेषज्ञों से इस मुद्दे पर सुझाव देने की अपील की है।

अगर आप इस विषय पर कुछ कहना या सुझाना चाहते हैं, तो आप सरकारी टोल-फ्री नंबर 18001801551 पर संपर्क कर सकते हैं।

शिवराज सिंह चौहान ने भरोसा दिलाया कि हर एक सुझाव को गंभीरता से सुना और जांचा जाएगा।

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कपास उत्पादन के लिए रोडमैप तैयार होगा

सरकार इस पूरे प्रयास का उद्देश्य सिर्फ एक बैठक करना नहीं, बल्कि इससे आगे जाकर एक व्यापक कार्ययोजना (Roadmap) तैयार करना है।

इसमें शामिल होंगे:

  • शोध केंद्रों और वैज्ञानिकों के दिशा-निर्देश
  • बीज कंपनियों और कृषि उत्पादकों की भूमिका
  • राज्य सरकारों का सहयोग
  • किसानों को प्रशिक्षण और नई तकनीक से जोड़ना

कृषि मंत्री ने कहा, “हम सब मिलकर देश में कपास उत्पादन को फिर से ऊंचाई पर पहुंचाएंगे। यह केवल सरकार की नहीं, हम सभी की साझा जिम्मेदारी है।”


टीएसवी वायरस: कपास के लिए बड़ा खतरा

टीएसवी वायरस कपास की फसल पर सीधा असर डालता है। इसके लक्षणों में पत्तियों पर धब्बे, फूलों और फलियों का गिरना, और पौधों की असमय मृत्यु शामिल है। वायरस का प्रकोप बढ़ने से फसल पूरी तरह बर्बाद हो सकती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है।

इससे बचने के लिए आवश्यक है:

  • संशोधित और रोग-प्रतिरोधक बीज
  • खेती के उन्नत और जैविक तरीके
  • समय पर फसल निगरानी और उपचार

निष्कर्ष (Conclusion)

देश में कपास उत्पादन को लेकर जो संकट आया है, उससे निपटने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह सक्रिय हो गई है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में एक ठोस रणनीति और वैज्ञानिक सहयोग से इस दिशा में सुधार की उम्मीद बढ़ गई है।

11 जुलाई की बैठक इस बात का संकेत है कि सरकार सिर्फ बयान नहीं दे रही, बल्कि जमीनी स्तर पर सुधार और नवाचार की दिशा में ठोस प्रयास कर रही है।

किसानों की भागीदारी, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सरकार की इच्छाशक्ति – ये तीनों मिलकर भारतीय कपास क्षेत्र को एक नई दिशा देंगे।

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