Reliance Group: पिछले कुछ दिनों से अनिल अंबानी के व्यापारिक साम्राज्य को लेकर वित्तीय बाजार में हलचल तेज हो गई है। लोन फ्रॉड केस में केंद्रीय एजेंसियों की जांच के चलते रिलायंस ग्रुप की दो प्रमुख कंपनियों — रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर — के शेयरों में जबरदस्त गिरावट देखी गई है। महज 6 कारोबारी दिनों में दोनों कंपनियों के शेयरों में लगभग 19 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है।
6 अगस्त 2025: शेयरों की गिरावट थमी नहीं
आज यानी बुधवार, 6 अगस्त 2025 को भी गिरावट का सिलसिला जारी रहा।
- रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयर में 0.84% की गिरावट
- रिलायंस पावर के शेयर में 0.88% की गिरावट
इस गिरावट ने निवेशकों को बेचैन कर दिया है और कई लोग अपने निवेश पर पुनर्विचार करने लगे हैं।
पूछताछ के घेरे में अनिल अंबानी
मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल अंबानी से अपने दिल्ली स्थित मुख्यालय में करीब 10 घंटे तक पूछताछ की। ईडी ने उन्हें सात दिनों का समय दिया है ताकि वे जांच से जुड़े सभी दस्तावेज़ जमा करवा सकें। यह पूछताछ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत की गई थी।
सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान अनिल अंबानी से कई अहम सवाल पूछे गए। उन्होंने किसी भी तरह की वित्तीय गड़बड़ी से इनकार किया है और बताया कि उनकी कंपनियां समय-समय पर बाजार नियामक SEBI को जरूरी वित्तीय जानकारी देती रही हैं।

ईडी की जांच का दायरा हुआ बड़ा
अनिल अंबानी से पूछताछ के बाद अब ईडी की नजर रिलायंस ग्रुप के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अब अन्य पदाधिकारियों से भी पूछताछ की जा रही है, जिससे इस केस की जांच और गहराई में पहुंच रही है।
क्या है यह पूरा मामला?
इस केस की जड़ें 2017 से 2019 के बीच हैं, जब यस बैंक द्वारा अनिल अंबानी के ग्रुप को लगभग 3,000 करोड़ रुपये के कर्ज दिए गए थे। आरोप है कि इन लोन का गलत तरीके से उपयोग किया गया और इसका एक बड़ा हिस्सा अन्य कंपनियों में ट्रांसफर किया गया।
केंद्रीय एजेंसियों को संदेह है कि यह केवल एक लोन फ्रॉड नहीं, बल्कि एक जटिल वित्तीय हेरफेर और रिश्वत के लेन-देन से जुड़ा मामला है। अब जांच का फोकस यह पता लगाने पर है कि इस पूरे लोन डील में किन-किन स्तरों पर अनियमितताएं की गईं और लाभ किसे मिला।

17,000 करोड़ रुपये का संभावित गड़बड़झाला
ईडी द्वारा की जा रही जांच का दायरा अब केवल यस बैंक तक सीमित नहीं रहा। एजेंसी का कहना है कि अनिल अंबानी के समूह की अन्य कंपनियों ने भी 17,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज में अनियमितताएं की हैं। इनमें कुछ लोन को बिना गारंटी दिए लिया गया और कुछ को उन कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया गया, जिनका वास्तविक उपयोग संदिग्ध है।
क्या कहते हैं बाजार विशेषज्ञ?
स्टॉक मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि जब तक ईडी और सीबीआई की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक रिलायंस पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में स्थिरता आना मुश्किल है। इस स्थिति में निवेशकों को संयम बरतने और जल्दबाज़ी में निर्णय लेने से बचने की सलाह दी जा रही है।
निवेशकों के लिए सावधानी जरूरी
अगर आपने इन कंपनियों में निवेश किया है, तो आपको मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए निवेश रणनीति पर विचार करना चाहिए।
- लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए यह समय धैर्य रखने का है।
- वहीं शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स को उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना होगा।
Reliance Group
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप पर लोन फ्रॉड का साया गहराता जा रहा है। वित्तीय अनियमितताओं के इस मामले में लगातार हो रही पूछताछ और जांच से न केवल बाजार में उथल-पुथल है, बल्कि आम निवेशक भी असमंजस की स्थिति में हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से एक बार फिर यह स्पष्ट होता है कि कंपनियों की पारदर्शिता और नियामकीय जिम्मेदारियों की अनदेखी निवेशकों के लिए कितनी भारी पड़ सकती है।