Property registry, Property Registration: बहुत से लोग सोचते हैं कि रजिस्ट्री हो गई मतलब संपत्ति उनके नाम हो गई, लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है? जानिए कानून की असली हकीकत… सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराने से नहीं मिलता असली मालिकाना हक – जानिए क्यों ज़रूरी है सतर्कता।
भारत में संपत्ति (Property Registration) से जुड़ी जानकारी और अधिकार को लेकर लोगों में अक्सर भ्रम रहता है। बहुत से लोग मानते हैं कि किसी भी ज़मीन, फ्लैट या मकान की रजिस्ट्री (Registration) हो जाने के बाद वे उसके पूर्ण मालिक बन जाते हैं। लेकिन कानूनी दृष्टिकोण से यह पूरी तरह सही नहीं है। सिर्फ रजिस्ट्रेशन होने का मतलब यह नहीं कि आप उस प्रॉपर्टी के लीगल ओनर (Legal Owner) हैं।
इस पोस्ट में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि “Registration is not ownership” का क्या मतलब है, इससे जुड़े कानून, दस्तावेज़, जोखिम और क्या कदम उठाने चाहिए ताकि आप किसी धोखाधड़ी का शिकार न बनें।
📌 रजिस्ट्रेशन (Property registry) क्या होता है?
रजिस्ट्रेशन यानी “Sale Deed” का सरकारी रेकॉर्ड में पंजीकरण। जब कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को खरीदता है, तो उसकी सेल डीड (Sale Deed) रजिस्ट्रार ऑफिस में दर्ज कराई जाती है। यह प्रक्रिया संपत्ति खरीद की कानूनी पुष्टि करती है, लेकिन ये मालिकाना अधिकार (Ownership Rights) की गारंटी नहीं देती।

📌 Ownership यानी असली मालिकाना हक क्या होता है?
Ownership का मतलब है कि किसी संपत्ति पर आपका पूरा नियंत्रण और कानूनी अधिकार हो। आप उसे बेच सकते हैं, किराए पर दे सकते हैं या गिफ्ट भी कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपके पास पुख्ता दस्तावेज़, जैसे कि Mutation, Property Tax Record, Possession Letter, आदि होने जरूरी हैं।
❗ रजिस्ट्री और ओनरशिप में फर्क क्यों होता है?
कई बार देखने में आता है कि एक ही संपत्ति की कई बार रजिस्ट्री हो जाती है, और अलग-अलग लोग खुद को मालिक बताते हैं। यह तब होता है जब:
- जमीन विवादित हो
- पुराना मालिक नकली दस्तावेजों से प्रॉपर्टी बेच दे
- संपत्ति पर बैंक का कर्ज हो या लोन से जुड़ा लोन केस हो
- संपत्ति का mutation नहीं कराया गया हो
🏢 Mutation क्यों है जरूरी?
Mutation यानी भूमि या संपत्ति का नामांतरण। जब आप कोई संपत्ति खरीदते हैं, तो उस संपत्ति को म्यूनिसिपल रिकॉर्ड्स में अपने नाम पर दर्ज कराना होता है। यही असली दस्तावेज होता है जो आपको उस संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारी बनाता है।
यदि आपने Mutation नहीं कराया है, तो सरकार के रिकॉर्ड में आप मालिक नहीं माने जाएंगे। इसके बिना:
- आप प्रॉपर्टी पर लोन नहीं ले सकते
- ना ही प्रॉपर्टी बेच सकते हैं
- कोई भी भविष्य में आपकी Ownership को चैलेंज कर सकता है
📝 जरूरी दस्तावेज़ जो असली मालिक साबित करते हैं:
- Sale Deed (रजिस्ट्री) – खरीद का पहला सबूत
- Possession Letter (कब्जा पत्र) – कि प्रॉपर्टी आपके पास है
- Mutation Certificate – सरकारी रिकॉर्ड में नाम दर्ज होना
- Property Tax Receipt – टैक्स का भुगतान आपके नाम से हो
- Encumbrance Certificate – यह दर्शाता है कि प्रॉपर्टी पर कोई बकाया कर्ज नहीं है
- Building Plan Approval (यदि मकान हो)
- Electricity/Water Bill – जो आपकी उपस्थिति दर्शाता है
🧠 कानूनी सलाह क्यों लें?
कई लोग बिना वकील की सलाह के ही रजिस्ट्री करा लेते हैं। लेकिन हर संपत्ति की जांच legal due diligence से होनी चाहिए ताकि पता चले कि:
- प्रॉपर्टी विवादमुक्त है या नहीं
- कहीं केस तो नहीं चल रहा
- मालिक के पास सही अधिकार हैं या नहीं

⚠️ धोखाधड़ी से बचने के उपाय:
- Original Sale Deed देखें
- Mutation का स्टेटस जानें
- Encumbrance Certificate लें (12 साल तक का)
- RTI या रजिस्ट्री ऑफिस से वैरिफाई करें
- स्थानीय निकाय से NOC लें
- प्लॉट/फ्लैट की Physical Verification करें
- वकील या रजिस्टर्ड एजेंट से ही डील करें
🔎 क्या कहता है कानून?
भारतीय कानून के अनुसार, Transfer of Property Act, 1882, और Registration Act, 1908, के तहत रजिस्ट्री सिर्फ ट्रांसफर को दर्शाती है, परंतु असली मालिकाना हक तब माना जाएगा जब सभी जरूरी दस्तावेज पूरे हों। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स भी कई बार ये कह चुकी हैं कि रजिस्ट्रेशन सिर्फ एक प्रक्रिया है, मालिकाना हक इससे पूर्ण रूप से सिद्ध नहीं होता।
📣 निष्कर्ष: रजिस्ट्रेशन पहला कदम है, आखिरी नहीं!
यदि आपने कोई फ्लैट, प्लॉट या मकान खरीदा है, तो सिर्फ रजिस्ट्री करवाकर न बैठें। जब तक आपने mutation, टैक्स, कब्जा और बाकी जरूरी कागजात पूरे नहीं कर लिए, तब तक आप संपत्ति के पूर्ण मालिक नहीं माने जाते। रजिस्ट्री करवाना जरूरी है, लेकिन मालिक बनने के लिए पूरे दस्तावेज़ और सतर्कता जरूरी है।