सोयाबीन की खेती : जानें सोयाबीन की खेती से जुड़ी हर जरूरी बात – खेत की तैयारी से लेकर प्रति एकड़ उत्पादन तक, एक आसान और लाभकारी गाइड। भारत में सोयाबीन एक प्रमुख तेल वाली फसल है जिसे खरीफ सीजन में उगाया जाता है। सोयाबीन की खेती किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक हो सकती है अगर इसे सही समय, विधि और देखभाल के साथ किया जाए। इसमें प्रोटीन और तेल की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इसका उपयोग तेल, चारा और कई प्रकार के उत्पादों में किया जाता है।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे सोयाबीन की खेती से जुड़ी हर जरूरी जानकारी – खेती का सही समय, खेत की तैयारी, खाद, विधि और उत्पादन से संबंधित सभी पहलुओं पर विस्तार से।
1. सोयाबीन की खेती का सही समय
सोयाबीन की खेती का सीजन खरीफ (मानसून) है। इसकी बुवाई का सही समय 15 जून से 15 जुलाई के बीच होता है, जब मानसून की पहली बारिश हो चुकी हो और मिट्टी में पर्याप्त नमी हो।
- तापमान: बुवाई के समय तापमान 25 से 30°C होना चाहिए।
- बारिश: 600–1000 मिमी वर्षा सोयाबीन के लिए आदर्श है।
- अत्यधिक बारिश और जलभराव से बचाएं, क्योंकि यह फसल जलभराव सहन नहीं कर सकती।
2. खेत की तैयारी कैसे करें
सोयाबीन की अच्छी पैदावार के लिए खेत की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है:
- पहली जुताई: गहरी जुताई करें ताकि खेत के नीचे तक की मिट्टी ढीली हो जाए। इसके लिए रिवर्स प्लाउ या कल्टीवेटर का उपयोग करें।
- 2-3 बार हैरो चलाएं, जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए।
- पाटा चलाकर खेत को समतल करें, ताकि पानी जमा न हो।
- ड्रेनेज सिस्टम अच्छा रखें क्योंकि सोयाबीन जलभराव सहन नहीं करता।

3. कौन सा खाद डालें और कितना?
अच्छी पैदावार के लिए खेत में पोषक तत्वों का संतुलन जरूरी है।
प्राकृतिक (जैविक) खाद:
- गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट: 8–10 टन प्रति एकड़
- नीम खली या हड्डी की खाद: 50–100 किलो प्रति एकड़
रासायनिक खाद:
(प्रति एकड़ के अनुसार)
पोषक तत्व | मात्रा |
---|---|
डीएपी (DAP) | 50 किलो |
पोटाश (MOP) | 20 किलो |
सल्फर | 10 किलो |
ज़िंक | 5 किलो (यदि ज़िंक की कमी हो) |
- बीज को राइजोबियम कल्चर से ट्रीट करना जरूरी है, इससे नाइट्रोजन स्थिरीकरण होता है और उत्पादन बढ़ता है।
4. खेती करने की विधि (बुवाई की तकनीक)
बीज का चयन:
- उच्च उपज देने वाली किस्में जैसे – JS-335, JS-9305, NRC-37, MACS-1188 आदि का चुनाव करें।
बीज की मात्रा:
- 15–20 किलो बीज प्रति एकड़ काफी होता है।
बीज उपचार:
- बुवाई से पहले बीज को फंगीसाइड (थायरम + कैप्टन 2 ग्राम/किलो बीज) से उपचारित करें।
- इसके बाद राइजोबियम कल्चर और पीएसबी कल्चर से उपचारित करें।
बुवाई का तरीका:
- कतार से कतार की दूरी: 30 से 45 सेमी
- पौधे से पौधे की दूरी: 5 से 10 सेमी
- बीज की गहराई: 3 से 5 सेमी
- बुवाई के लिए सीड ड्रिल या ट्रैक्टर संचालित मशीन का प्रयोग करें।
5. फसल पकने में कितना समय लगता है
- सोयाबीन की फसल आमतौर पर 90 से 110 दिन में तैयार हो जाती है।
- किस्म और मौसम के अनुसार यह अवधि 80 से 120 दिन तक हो सकती है।
- जब पत्ते पीले पड़ने लगें और फली सूखने लगे, तब फसल कटाई के लिए तैयार होती है।

यह भी पढ़ें- औषधीय खेती क्या है? कम लागत में लाखों कमाने वाला फार्मिंग बिजनेस आइडिया
6. प्रति एकड़ कितना उत्पादन होगा?
अच्छी देखरेख और उन्नत खेती तकनीकों के साथ सोयाबीन की औसत उपज 8–10 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है। यदि आदर्श जलवायु, उर्वर मिट्टी और सही खाद प्रबंधन किया जाए, तो उपज 12 क्विंटल प्रति एकड़ तक भी संभव है।
उत्पादन पर असर डालने वाले कारक:
- सही बीज का चयन
- समय पर बुवाई
- कीट और रोग नियंत्रण
- सही सिंचाई और नमी बनाए रखना
- अच्छी खरपतवार नियंत्रण
7. अन्य जरूरी सुझाव (बोनस टिप्स)
- खरपतवार नियंत्रण: बुवाई के 20–25 दिन बाद नींदा (खरपतवार) नियंत्रण करें। इसके लिए हर्बीसाइड जैसे पेंडीमेथालिन का छिड़काव करें।
- कीट नियंत्रण: तना मक्खी, इल्ली जैसे कीटों से बचाव के लिए समय-समय पर दवाओं का छिड़काव करें।
- सिंचाई: बारिश के अभाव में बुवाई के बाद पहली सिंचाई आवश्यक है। फुलाव (पॉड फॉर्मेशन) के समय नमी जरूरी है।
सोयाबीन की खेती
सोयाबीन की खेती एक लाभकारी व्यवसाय बन सकता है अगर सही तरीके से इसकी योजना बनाई जाए। समय पर बुवाई, उपयुक्त खाद, अच्छी सिंचाई और कीट नियंत्रण से आप प्रति एकड़ अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आप एक प्रगतिशील किसान हैं और कम लागत में अधिक लाभ कमाना चाहते हैं, तो सोयाबीन की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे अपने किसान मित्रों के साथ जरूर शेयर करें। खेती से जुड़े और लेखों के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो करें।