india us trade war: ट्रम्प के 50% टैरिफ का क्या होगा “आम आदमी” पर असर, जानिए

Bharti gour

india us trade war: ट्रम्प के 50% टैरिफ का क्या होगा "आम आदमी" पर असर, जानिए
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india us trade war-trump tariff: भारत के लाखों परिवारों के लिए यह समय चिंता से भरा है। ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ ने कई उद्योगों की हालत बिगाड़ दी है। इसका सीधा असर भारतीय कंपनियों के कारोबार और नौकरी की सुरक्षा पर पड़ रहा है। आइए समझते हैं इस टैरिफ के पीछे की कहानी और यह कैसे आपके रोजगार पर असर डाल सकता है।


भारतीय प्रोडक्ट्स की यूएस मार्केट में मुश्किलें

ट्रंप की ओर से भारत पर लगाया गया भारी टैरिफ भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में कम प्रतिस्पर्धी बना रहा है। अमेरिका में अब बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों के प्रोडक्ट्स सस्ते मिल रहे हैं, जबकि भारतीय उत्पाद महंगे हो गए हैं। जाहिर है, उपभोक्ता सस्ते विकल्प की ओर झुकेंगे। इस वजह से भारतीय कंपनियों का अमेरिकी बाजार में पकड़ ढीली हो रही है, जिससे इनकी कमाई और ग्रोथ दोनों पर असर पड़ रहा है।


मैन्युफैक्चरिंग में बदलाव, नौकरियों पर खतरा

टैरिफ बढ़ने के कारण कई कंपनियां अपने उत्पादन केंद्र भारत से हटाकर उन देशों में शिफ्ट करने की सोच रही हैं जहां टैरिफ कम है। इससे लाखों भारतीयों की नौकरियों पर संकट आ सकता है। एक अनुमान के मुताबिक, टैरिफ से प्रभावित सेक्टर्स में करीब 2.80 करोड़ लोगों की आजीविका दांव पर है। अकेले सीफूड सेक्टर से जुड़े करीब 2 करोड़ लोग इस संकट के केंद्र में हैं।


किन सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा असर?

1. सीफूड इंडस्ट्री

भारत के समुद्री खाद्य पदार्थों का लगभग 40% निर्यात अमेरिका को होता है। खासकर झींगा निर्यात में भारत अग्रणी है। 60,000 करोड़ रुपये की इस इंडस्ट्री को ट्रंप टैरिफ से गहरा झटका लगा है। इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर स्टॉक अनबिके पड़े हैं और किसानों से लेकर निर्यातकों तक हर किसी पर असर पड़ा है। यहां काम करने वाले करीब 2 करोड़ लोग प्रभावित हो सकते हैं।

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2. टेक्सटाइल और अपैरल सेक्टर

तिरुपुर, नोएडा और सूरत जैसे प्रमुख टेक्सटाइल हब से निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। निर्यातक अब नए ऑर्डर लेने से बच रहे हैं क्योंकि बढ़े हुए टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है। इस सेक्टर में 30 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, जिनके वेतन और नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।

3. जेम्स एंड जूलरी सेक्टर

भारत का डायमंड और जूलरी एक्सपोर्ट अमेरिका में सबसे बड़ा हिस्सा रखता है। करीब 83,000 करोड़ रुपये की इस इंडस्ट्री के लिए यह टैरिफ किसी आपदा से कम नहीं। एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के मुताबिक, टैरिफ के चलते इंडस्ट्री को विदेशों में शिफ्ट होना पड़ सकता है, जिससे 2.62 लाख से अधिक कर्मचारियों की नौकरी संकट में आ सकती है।

4. ऑटो पार्ट्स उद्योग

भारत की ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री का अमेरिका को निर्यात लगभग 61,000 करोड़ रुपये का है। बढ़ा हुआ टैरिफ इस क्षेत्र को भी नुकसान पहुंचा रहा है। अमेरिका इस इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा ग्राहक है और यहां 15 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं।


रोजगार और निवेश की स्थिति कमजोर

एचडीएफसी बैंक की चीफ इकोनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता का कहना है कि अगर यह टैरिफ लंबे समय तक बना रहा, तो भारत में रोजगार और निवेश पर गंभीर असर पड़ेगा। कंपनियों का मुनाफा घटने से वे नए निवेश से बचेंगी और छंटनी जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं। खासकर लेबर-इंटेंसिव सेक्टर्स जैसे फुटवियर, लेदर, जूलरी और टेक्सटाइल में संकट गहराने की आशंका है।


कितना होगा भारत पर असर?

भारत एक घरेलू मांग आधारित अर्थव्यवस्था है, यानी हमारी ज्यादातर कंपनियां देश के भीतर कारोबार करती हैं। लेकिन कुछ सेक्टर जैसे सीफूड, जूलरी और टेक्सटाइल भारी मात्रा में अमेरिका को निर्यात करते हैं। इन्हीं सेक्टरों पर अमेरिकी टैरिफ का सीधा असर पड़ा है। वहीं आईटी, फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर फ़िलहाल डोनाल्ड ट्रम्प की इस नई नीति की लिस्ट से बाहर हैं, इसलिए वे अभी सुरक्षित हैं।

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क्या हो सकते हैं समाधान?

  • भारत सरकार को अमेरिका से नए ट्रेड एग्रीमेंट की दिशा में जल्दी पहल करनी होगी।
  • एक्सपोर्टर्स को नए बाजार तलाशने की जरूरत है, जैसे यूरोप, मिडल ईस्ट और एशिया।
  • लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को टैक्स में राहत और सब्सिडी जैसे कदम उठाने होंगे।
  • स्किल अपग्रेडेशन और सेक्टर डाइवर्सिफिकेशन से भी रोजगार बचाया जा सकता है।

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ट्रंप टैरिफ का असर सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है, यह आम भारतीय की रोज़ी-रोटी से जुड़ा मसला है। आने वाले महीनों में अगर टैरिफ का समाधान नहीं निकला, तो लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। सरकार, कंपनियों और नागरिकों को मिलकर इस चुनौती से निपटना होगा।

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