गणेश चतुर्थी 2025: जानें घर में गणपति बप्पा की स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और नियम

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गणेश चतुर्थी 2025: जानें घर में गणपति बप्पा की स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और नियम
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गणेश चतुर्थी 2025: भारत में हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इसे सिद्धि विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणपति को विधि-विधान से घर और पंडालों में स्थापित किया जाता है। महाराष्ट्र से शुरू हुआ यह पर्व आज पूरे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाने लगा है।

इस साल गणेश चतुर्थी 2025 का पर्व 27 अगस्त (बुधवार) को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तगण गणपति बप्पा की स्थापना कर 11 दिनों तक उनका पूजन-अर्चन करेंगे और अनंत चतुर्दशी के दिन विधिवत विसर्जन किया जाएगा।


गणेश चतुर्थी 2025 की तिथि और महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसलिए इस तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन श्रीगणेश को घर या पंडाल में स्थापित करके संकल्प लिया जाता है कि कितने दिनों तक उनकी सेवा और पूजा की जाएगी।

सामान्यतः गणपति की पूजा डेढ़ दिन, तीन दिन, पांच दिन, सात दिन या 11 दिन तक की जाती है।
भक्त अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार तय करते हैं कि बप्पा को कितने समय तक विराजमान रखना है।

गणपति की स्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं।


गणेश चतुर्थी 2025 शुभ मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2025 Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 27 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक रहेगी।

लेकिन शास्त्रों में नियम है कि गणेश चतुर्थी का पूजन मध्याह्न काल में ही करना चाहिए। चूंकि 27 अगस्त को मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी होगी, इसलिए गणेश स्थापना और पूजा 27 अगस्त को ही शुभ मानी जाएगी।

गणेश चतुर्थी 2025: जानें घर में गणपति बप्पा की स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और नियम

गणपति स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा का विशेष समय

  • 27 अगस्त 2025 को गणेश जी की प्रतिमा स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 11:07 बजे से दोपहर 12:42 बजे तक रहेगा।
  • राहुकाल 12:30 बजे से शुरू होगा, इसलिए सुबह 11:07 से 12:30 बजे तक का समय सबसे उत्तम रहेगा।

इस अवधि में यदि गणपति की प्रतिमा स्थापित की जाए तो पूजा का फल और भी अधिक शुभकारी माना जाता है।


गणेश चतुर्थी पर पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धि – सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. गणेश प्रतिमा स्थापना – प्रतिमा को पीढ़े या चौकी पर लाल या पीले कपड़े पर स्थापित करें।
  3. संकल्प लें – भगवान गणेश की पूजा कितने दिनों तक करेंगे, इसका संकल्प लें।
  4. प्राण प्रतिष्ठा – मंत्र उच्चारण के साथ गणेश जी का आवाहन करें –
    “ॐ गं गणपतये नमः”
  5. आवाहन और पूजन – धूप, दीप, पुष्प, दूर्वा और मोदक अर्पित करें।
  6. आरती – गणेश जी की आरती करें और परिवार सहित भक्ति भाव से पूजा करें।
गणेश चतुर्थी 2025: जानें घर में गणपति बप्पा की स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और नियम

गणेश चतुर्थी का महत्व

  • गणेश जी को विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य माना जाता है।
  • उनकी स्थापना से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  • व्यवसायियों के लिए यह दिन विशेष लाभकारी माना जाता है।
  • बच्चे और विद्यार्थी गणपति की पूजा कर बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति करते हैं।

महाराष्ट्र में गणेश उत्सव का महत्व

महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की शुरुआत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के समय इसे सामाजिक एकता का माध्यम बनाया। आज यह पर्व केवल महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि देशभर में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।

पंडालों में भव्य गणेश प्रतिमाएं सजाई जाती हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और जगह-जगह प्रसाद के रूप में मोदक बांटे जाते हैं।


गणेश चतुर्थी पर क्या करें और क्या न करें

  • इस दिन गणपति जी को लाल फूल, दूर्वा, मोदक और सिंदूर जरूर चढ़ाएं।
  • पूजा के दौरान घर को स्वच्छ और पवित्र रखें।
  • श्रीगणेश की आरती और भजन गाएं।
  • पूजा के दौरान किसी का अपमान न करें।
  • मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहें।
  • गणपति विसर्जन से पहले प्रतिमा को अकेला न छोड़ें।

गणेश चतुर्थी 2025

गणेश चतुर्थी 2025 का पर्व भक्तों के लिए उल्लास और भक्ति का अवसर लेकर आता है। इस साल 27 अगस्त को दोपहर 11:07 बजे से 12:30 बजे तक का समय गणेश जी की प्रतिमा स्थापना और पूजा के लिए सबसे शुभ है। यदि भक्त इस अवधि में गणपति की प्राण प्रतिष्ठा करते हैं तो उन्हें जीवन में सिद्धि, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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