ऑटो लोन पर राहत की उम्मीद अधूरी? FADA ने RBI से की सख्त अपील
देश के ऑटो सेक्टर की प्रमुख संस्था FADA (Federation of Automobile Dealers Associations) ने हाल ही में RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) को पत्र लिखकर प्राइवेट बैंकों की नीति पर नाराज़गी जताई है। संस्था का कहना है कि RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती के बावजूद प्राइवेट बैंक ऑटो लोन की ब्याज दरों में राहत नहीं दे रहे हैं, जिससे ग्राहकों को फायदा नहीं मिल पा रहा।
🔍 क्या है पूरा मामला?
भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल के महीनों में कई बार रेपो रेट (Repo Rate) में कटौती की है, जिससे लोन की ब्याज दरें कम होनी चाहिए थीं। रेपो रेट में कटौती का मतलब होता है कि बैंक को सस्ते में पैसे मिलते हैं और वो अपने ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं।
लेकिन FADA का कहना है कि ज़्यादातर प्राइवेट बैंक, खासकर बड़े बैंक, ऑटो लोन की ब्याज दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं कर रहे हैं। इससे न केवल ग्राहक निराश हैं, बल्कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर भी असर पड़ रहा है।

🚗 ऑटो सेक्टर पर असर
- ग्राहकों को महंगा लोन मिलने के कारण नई गाड़ियां खरीदने में रुचि कम हो रही है।
- डीलरशिप्स पर बिक्री का दबाव बढ़ रहा है और वित्तीय बोझ भी बढ़ता जा रहा है।
- ब्याज दरों में राहत मिलने से जो तेजी मार्केट में आ सकती थी, वह नहीं आ रही।
FADA के मुताबिक, रेपो रेट में बदलाव का असर पब्लिक सेक्टर बैंकों की तुलना में प्राइवेट बैंकों ने काफी धीरे या बिल्कुल भी नहीं दिखाया।
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📄 FADA ने RBI से क्या मांग की?
FADA ने RBI को जो पत्र लिखा है, उसमें मुख्य रूप से ये बातें उठाई गई हैं:
- RBI को प्राइवेट बैंकों को निर्देश देने चाहिए कि वे रेपो रेट में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाएं।
- RBI को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ब्याज दरों में बदलाव का असर ऑटो लोन पर भी दिखे, खासकर जब सेक्टर पहले ही मंदी की स्थिति से गुजर रहा हो।
- ट्रांसपेरेंसी और रेगुलेशन को लेकर सख्ती बरती जाए ताकि सभी बैंक एक समान नियमों का पालन करें।
📉 क्यों नहीं मिल रहा ग्राहकों को फायदा?
इसके कई कारण हो सकते हैं:
- प्राइवेट बैंक अपने प्रॉफिट मार्जिन को बनाए रखना चाहते हैं।
- ब्याज दरों में कमी से बैंक की आमदनी पर असर पड़ता है।
- ऑटो लोन को कम प्राथमिकता देना भी एक कारण हो सकता है।
इससे सबसे ज़्यादा नुकसान उन ग्राहकों को होता है जो EMI पर गाड़ी खरीदना चाहते हैं। उनके लिए यह निर्णय भारी पड़ सकता है।
🔍 RBI की भूमिका क्यों अहम है?
RBI देश का केंद्रीय बैंक है और वो रेपो रेट तय करता है। रेपो रेट घटाने से लोन की ब्याज दरें कम होनी चाहिए, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। अगर बैंक इस बदलाव को लागू नहीं करते तो पूरी प्रक्रिया अधूरी और बेअसर हो जाती है।
RBI के पास यह ताकत है कि वो बैंकों को दिशा-निर्देश जारी कर सकता है, लेकिन प्राइवेट बैंकों पर नियंत्रण की प्रक्रिया थोड़ी जटिल होती है। इसलिए FADA का कहना है कि RBI को सख्त हस्तक्षेप करना चाहिए।

🚙 ग्राहकों के लिए क्या संदेश?
अगर आप ऑटो लोन लेने की योजना बना रहे हैं तो यह जानना जरूरी है कि:
- सभी बैंकों की ब्याज दरें जांचें और तुलना करें।
- सिर्फ ब्रांड या सुविधा देखकर लोन न लें, ब्याज दर और प्रोसेसिंग फीस को भी ध्यान में रखें।
- कुछ पब्लिक सेक्टर बैंक रेपो लिंक्ड ब्याज दरों पर लोन दे रहे हैं, जो सस्ते हो सकते हैं।
FADA की RBI से अपील
FADA का RBI से आग्रह ऑटो सेक्टर की मौजूदा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बेहद जरूरी कदम है। अगर RBI इसमें दखल देता है और प्राइवेट बैंक ऑटो लोन की दरें घटाते हैं तो इससे ग्राहकों को राहत मिलेगी, बिक्री बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में गति आएगी।
उम्मीद है कि आने वाले समय में RBI इस मांग को गंभीरता से लेगा और ग्राहकों को जल्द ही सस्ते ऑटो लोन का लाभ मिलेगा।