Dhirendra Krishna Shastri: बागेश्वर धाम के प्रमुख और लोकप्रिय संत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक बार फिर अपने बयानों से देशभर का ध्यान खींचा है। इस बार उन्होंने प्रेमानंद महाराज के पक्ष में खुलकर समर्थन जताया है। प्रेमानंद जी के हालिया बयान को लेकर जहां सोशल मीडिया से लेकर सार्वजनिक मंचों पर बहस छिड़ी हुई है, वहीं धीरेंद्र शास्त्री ने बेबाक अंदाज में अपनी राय सामने रखी है।
प्रेमानंद जी को बताया संत और भजनानंदी
धीरेंद्र शास्त्री ने प्रेमानंद जी को एक सच्चे उपदेशक और भजनप्रिय संत बताया। उन्होंने कहा, “प्रेमानंद महाराज एक सज्जन और संत स्वभाव के महात्मा हैं। उनके विरोध से साफ हो गया है कि कुछ लोगों के अंदर जलन और असहजता है। जबसे यह सब हुआ है, मेरे मन में एक बात साफ हो गई कि हमारे देश में सच बोलना आसान नहीं है।”
8 अगस्त को छतरपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बयान दिया।
हर स्त्री गलत नहीं होती, लेकिन कुछ होती हैं — शास्त्री
अपने बयान में धीरेंद्र शास्त्री ने समाज के नजरिए पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “हर महिला खराब नहीं होती, हर आदमी भी बुरा नहीं होता, हर धर्म में बुरे लोग नहीं होते — लेकिन कुछ तो होते हैं। समाज को देखने का नजरिया सबका अलग होता है। जो लोग सनातन पर विश्वास करते हैं, उन्हें हम ठीक लगते हैं। बाकी जिन्हें सनातन से समस्या है, उन्हें हम विरोधी नजर आते हैं।”
प्रेमानंद महाराज के बयान से उपजा विवाद
कुछ समय पहले प्रेमानंद महाराज ने युवतियों की पवित्रता पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि आज के दौर में 100 में से मुश्किल से 2 या 4 लड़कियां ही वास्तव में पवित्र जीवन जी रही हैं। अन्य लड़कियां तो पाश्चात्य सभ्यता में उलझकर बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड जैसे रिश्तों के दिखावे में फस चुकीं हैं। उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हुई, कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया।

बिना वजह हमें टारगेट किया जाता है — धीरेंद्र शास्त्री
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने भाषण में यह भी कहा, “लोगों को हमसे तकलीफ इसलिए है क्योंकि हम सच्चाई कहने में संकोच नहीं करते। हम मंच से खुलकर बोलते हैं, इसलिए उन्हें दिक्कत परेशानी होती है। कुछ समय पहले तक लोग डर-डरकर खुद को ‘हिंदू’ बोलते थे, हम सीधा ललकार कर बोलते हैं।”
वो आगे कहते हैं, “हम उन लोगों में नहीं हैं जो सबको खुश करने के लिए चुप रह जाएं। जब सच्चाई सामने लानी होती है, तो उसका तरीका थोड़ा तीखा भी हो सकता है।”
राष्ट्रवाद के पक्ष में, जातिवाद के खिलाफ
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने वक्तव्य में यह भी स्पष्ट किया कि वे जातिवाद के खिलाफ हैं और राष्ट्रहित को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा, “राजनीति में जातियों के नाम पर वोट मांगे जाते हैं, जबकि हमें जातिवाद नहीं बल्कि राष्ट्रवाद चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा, “जब हमने हवस के पुजारियों की बात की, तो हमें समझ आया कि कुछ लोग इससे आहत हो गए। लेकिन क्या हवस का पुजारी केवल किसी एक धर्म में हो सकता है? नहीं, वह मौलवी भी हो सकता है, पास्टर भी और किसी भी समुदाय से हो सकता है। लेकिन जब हम यह सब कहते हैं तो लोगों को परेशानी होती है।”
समाज में सच्चाई बोलना आसान नहीं — बागेश्वर धाम के बाबा
धीरेंद्र शास्त्री का मानना है कि आज के समय में सच्चाई को बिना लाग-लपेट कह देना लोगों को असहज करता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने समाज को जैसा देखा है, वैसा ही कहा है। उनके मुताबिक हर बात को धर्म, जाति या वर्ग के चश्मे से देखना सही नहीं है। सत्य को स्वीकार करना और उस पर चर्चा करना जरूरी है।
Dhirendra Krishna Shastri
प्रेमानंद महाराज के बयान को लेकर देशभर में भले ही विवाद हुआ हो, लेकिन धीरेंद्र शास्त्री जैसे संतों का समर्थन उन्हें बल देता है। साथ ही इस चर्चा ने समाज को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम सच बोलने वालों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं?
धीरेंद्र शास्त्री की बातें भले ही तीखी लगें, लेकिन उनकी स्पष्टता यह दिखाती है कि वह बिना डर के अपनी बात रखते हैं। उनका यह बयान केवल प्रेमानंद महाराज का समर्थन नहीं, बल्कि समाज के हर उस व्यक्ति के लिए है जो सत्य की राह पर चलने का प्रयास करता है।