Budh Pradosh Vrat 2025: यहां देखें प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त

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Budh Pradosh Vrat 2025: यहां देखें प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त
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Budh Pradosh Vrat 2025: 6 अगस्त को पड़ेगा सावन का अंतिम बुध प्रदोष व्रत। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष स्थान है। हर महीने दो बार आने वाला यह व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना गया है। लेकिन जब यह व्रत सावन महीने में आता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस बार 6 अगस्त 2025 को बुधवार के दिन सावन का अंतिम प्रदोष व्रत पड़ रहा है। इस दिन शिव भक्त विशेष पूजा-पाठ और व्रत के जरिए भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं।

इस पावन दिन पर प्रदोष काल में पूजा करना सबसे शुभ और फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस समय में की गई पूजा से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और शिव कृपा से जीवन में सुख-शांति आती है।


6 अगस्त 2025 को शहर अनुसार प्रदोष काल का समय

अगर आप भी इस दिन प्रदोष व्रत का पालन कर रहे हैं, तो अपने शहर के अनुसार नीचे दिए गए शुभ मुहूर्त में पूजा जरूर करें:

  • नई दिल्ली – शाम 07:08 से रात 09:16 तक
  • पटना – शाम 06:32 से रात 08:41 तक
  • वाराणसी – शाम 06:40 से रात 08:50 तक
  • लखनऊ – शाम 06:51 से रात 08:59 तक
  • नोएडा – शाम 07:08 से रात 09:15 तक
  • चंडीगढ़ – शाम 07:13 से रात 09:20 तक
  • मेरठ – शाम 07:07 से रात 09:14 तक
  • मुंबई – शाम 07:12 से रात 09:25 तक
  • कोलकाता – शाम 06:15 से रात 08:26 तक
  • चेन्नई – शाम 06:34 से रात 08:50 तक
  • जयपुर – शाम 07:11 से रात 09:20 तक
  • हैदराबाद – शाम 06:47 से रात 09:01 तक
  • अहमदाबाद – शाम 07:18 से रात 09:29 तक
  • पुणे – शाम 07:07 से रात 09:20 तक
Budh Pradosh Vrat 2025: यहां देखें प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त

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प्रदोष व्रत की पूजा कैसे करें – सरल विधि

अगर आप बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए आसान स्टेप्स को अपनाएं:

  1. शाम को दोबारा स्नान करें: पूजा से पहले दिनभर का कार्य खत्म करके दोबारा स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
  2. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें: घर के मंदिर में या शिवलिंग के समक्ष दीप जलाएं और धूप अर्पित करें।
  3. शिवलिंग पर अर्पण करें: जल, बेलपत्र, सफेद फूल, भांग, धतूरा और फल चढ़ाएं।
  4. प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें: पूजा के दौरान प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा अवश्य पढ़ें या सुनें।
  5. मंत्रों का जाप करें: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
  6. शिव चालीसा का पाठ करें: अगर समय और श्रद्धा हो तो शिव चालीसा जरूर पढ़ें।
  7. आरती करें और प्रसाद बांटें: अंत में कपूर से आरती करें और भगवान को भोग लगाकर सभी को प्रसाद वितरित करें।

बुध प्रदोष व्रत का महत्व

बुधवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत बुध ग्रह से संबंधित माना जाता है। इस व्रत को करने से बुध दोष कम होता है और वाणी में मिठास आती है। इसके साथ ही नौकरी, व्यापार और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

सावन का अंतिम प्रदोष व्रत होने के कारण यह दिन और भी खास है। इस दिन उपवास, ध्यान, शिव मंत्रों का जाप और कथा श्रवण से जीवन में आने वाले कष्टों का नाश होता है।


Budh Pradosh Vrat 2025

अगर आप भगवान शिव की कृपा चाहते हैं, तो 6 अगस्त 2025 को आने वाला यह बुध प्रदोष व्रत एक उत्तम अवसर है। ऊपर बताए गए समय और विधि के अनुसार पूजा करें और अपने जीवन को शिवभक्ति से भर दें।

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