Ashwagandha ki kheti : कम खर्च, ज़्यादा फायदा देने वाली अश्वगंधा की खेती के लिए जानिए सही समय, खेत की तैयारी, खाद की मात्रा, और प्रति एकड़ उत्पादन से जुड़ी हर जरूरी जानकारी।
अश्वगंधा की खेती: पूरी जानकारी
1. अश्वगंधा क्या है?
अश्वगंधा एक औषधीय पौधा है जिसे भारतीय जिनसेंग भी कहा जाता है। इसका उपयोग आयुर्वेद में तनाव कम करने, इम्युनिटी बढ़ाने और शरीर को ताकत देने में किया जाता है। इसकी जड़ सबसे अधिक उपयोगी होती है, और इसकी खेती कम पानी, कम मेहनत में भी अच्छा मुनाफा देती है।
2. खेती का सही समय कब है?
अश्वगंधा की बुआई के लिए सबसे अच्छा समय जून से जुलाई (बरसात के शुरुआती महीने) होता है। इस समय मिट्टी में नमी होती है जो बीजों के अंकुरण में मदद करती है।
यदि आप सिंचाई की व्यवस्था कर सकते हैं, तो अक्टूबर-नवंबर में भी इसकी खेती की जा सकती है।
3. खेत की तैयारी कैसे करें?
अश्वगंधा के लिए ढीली, बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। खेत तैयार करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- पहली जुताई गहरी करें ताकि जड़ें आसानी से बढ़ सकें
- 2-3 बार हल्की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें
- खेत को समतल और जल निकासी युक्त रखें
- अंतिम जुताई के समय 8-10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं

4. कौन-सा खाद डालें और कितना?
अश्वगंधा की खेती में ज्यादा रासायनिक खाद की जरूरत नहीं होती। जैविक खेती के लिए निम्नलिखित खाद इस्तेमाल कर सकते हैं:
खाद का नाम | मात्रा (प्रति एकड़) |
---|---|
गोबर की सड़ी खाद | 8-10 टन |
नीम खली | 100-150 किग्रा |
वर्मी कम्पोस्ट | 1 टन |
ट्राइकोडर्मा/पीएसबी जैविक खाद | 2-3 किलो |
रासायनिक खाद की जरूरत हो तो 40-50 किग्रा DAP और 20 किग्रा पोटाश भी प्रयोग कर सकते हैं।
5. खेती करने की मेथड (बुआई की विधि)
बीज की तैयारी:
प्रति एकड़ 5-6 किलो बीज पर्याप्त होता है।
बीजों को बोने से पहले ट्राइकोडर्मा या बाविस्टिन में उपचारित करें।
बुआई विधि:
- कतार से कतार की दूरी: 20-25 सेमी
- पौधे से पौधे की दूरी: 10-15 सेमी
- बीज को 1 सेमी गहराई में बोएं और मिट्टी से ढंक दें
अच्छी बुआई से अंकुरण 90 प्रतिशत तक हो सकता है।
6. फसल पकने में कितना समय लगता है?
अश्वगंधा की फसल को तैयार होने में 150 से 180 दिन (लगभग 5-6 महीने) का समय लगता है।
जब पौधे पीले पड़ने लगें और पत्ते झड़ने लगें, तब जड़ें खोदने का समय होता है।
कटाई के बाद जड़ों को धूप में सुखाया जाता है और फिर बिक्री के लिए तैयार किया जाता है।

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7. प्रति एकड़ कितना उत्पादन होगा?
अश्वगंधा की उपज मिट्टी, जलवायु और देखभाल पर निर्भर करती है, लेकिन औसतन प्रति एकड़ उत्पादन होता है:
- सूखी जड़ें: 5 से 7 क्विंटल
- बीज उत्पादन (यदि किया जाए): 1 से 1.5 क्विंटल
8. मुनाफा और बाजार
बाजार भाव:
सूखी जड़ों की कीमत 80 से 150 रुपये प्रति किलो तक मिलती है, और औषधीय कंपनियां इसे थोक में खरीदती हैं।
प्रति एकड़ संभावित आमदनी:
विवरण | मात्रा | दर/कीमत | कुल मूल्य |
---|---|---|---|
सूखी जड़ें | 6 क्विंटल | ₹100/किलो | ₹60,000 |
खर्च (औसतन) | – | – | ₹20,000 |
शुद्ध लाभ | – | – | ₹40,000 से ₹50,000 |
यदि आप प्रोसेसिंग या बीज उत्पादन भी करें, तो यह मुनाफा और अधिक हो सकता है।
9. जरूरी सुझाव
- अश्वगंधा को पानी की बहुत अधिक जरूरत नहीं होती, इसलिए जलभराव से बचाएं
- समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें
- जैविक तरीकों से कीट प्रबंधन करें
- कटाई के बाद जड़ों को अच्छे से सुखाएं ताकि क्वालिटी न गिरे
Ashwagandha ki kheti
यदि आप कम पानी, कम मेहनत और अधिक मुनाफा वाली फसल की तलाश में हैं, तो अश्वगंधा की खेती एक बेहतरीन विकल्प है। इसकी बढ़ती मांग और कम उत्पादन लागत इसे खास बनाती है। थोड़ी सी जानकारी और सही तकनीक के साथ यह खेती आपके लिए आय का मजबूत साधन बन सकती है।