त्योहारी सीजन से पहले ऑटो सेक्टर में हलचल, GST घटने से सस्ती होंगी गाड़ियां? FADA ने सरकार के सामने रखी अहम मांग

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त्योहारी सीजन से पहले ऑटो सेक्टर में हलचल, GST घटने से सस्ती होंगी गाड़ियां? FADA ने सरकार के सामने रखी अहम मांग
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GST-FADA: भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इन दिनों बड़े बदलाव की उम्मीद कर रही है। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) में कटौती की संभावनाओं ने डीलर्स और ग्राहकों दोनों को दुविधा में डाल दिया है। मौजूदा हालात में ग्राहक नई गाड़ियां बुक करने से पीछे हट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर डीलर्स पर स्टॉक बेचने का दबाव लगातार बढ़ रहा है। इसी बीच फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने सरकार से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द नया GST ढांचा लागू किया जाए।

FADA का कहना है कि टैक्स से जुड़ी इस अनिश्चितता का सीधा असर गाड़ियों की बिक्री पर पड़ रहा है। सितंबर 2025 की शुरुआत में होने वाली GST काउंसिल की बैठक में टू-स्लैब टैक्स सिस्टम पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। अगर टैक्स 28% से घटाकर 18% कर दिया जाता है तो कार और बाइक खरीदने वालों को भारी राहत मिलेगी।


डीलर्स और ग्राहकों की परेशानी

रिपोर्ट्स के अनुसार, FADA ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई है। पत्र में कहा गया कि GST कटौती की चर्चाओं ने डीलर्स को मुश्किल में डाल दिया है।

  • त्योहारी सीजन को देखते हुए डीलर्स ने भारी मात्रा में स्टॉक बढ़ा लिया है।
  • लेकिन ग्राहक खरीदारी को टाल रहे हैं और लगातार पूछ रहे हैं कि नई टैक्स दर कब लागू होगी।
  • इससे बाजार में अस्थिरता बनी हुई है और डर है कि त्योहारों में बिक्री उम्मीद से कम रह सकती है।
त्योहारी सीजन से पहले ऑटो सेक्टर में हलचल, GST घटने से सस्ती होंगी गाड़ियां? FADA ने सरकार के सामने रखी अहम मांग

FADA की सरकार से प्रमुख मांगें

फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ने सरकार के सामने कई अहम मांगें रखी हैं, जिनमें प्रमुख ये हैं –

  1. GST परिषद की बैठक समय से पहले बुलाई जाए ताकि त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले नई टैक्स व्यवस्था लागू हो सके।
  2. बैंकों और NBFCs से रीपेमेंट की समय सीमा 30 दिन से बढ़ाकर 45 दिन की जाए, जिससे डीलर्स पर वित्तीय दबाव कम हो सके।
  3. उपकर (सेस) क्रेडिट के इस्तेमाल पर भी स्पष्ट दिशानिर्देश दिए जाएं।

ऑटोमोबाइल सेक्टर पर टैक्स का भारी बोझ

वर्तमान में GST चार स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) में विभाजित है। ऑटोमोबाइल सेक्टर पर सबसे ऊंची दर यानी 28% टैक्स लगता है। इसके अलावा 1% से 22% तक का सेस भी जुड़ता है।

  • छोटी पेट्रोल कारों पर कुल टैक्स बोझ लगभग 29% है।
  • SUVs पर यह बोझ 50% तक पहुंच जाता है।
  • वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों पर केवल 5% GST लागू होता है।

यही कारण है कि ग्राहक पारंपरिक पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से दूरी बना रहे हैं और EV की ओर झुकाव बढ़ रहा है।

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GST कटौती से क्या होंगे फायदे?

अगर GST दरों में कटौती की घोषणा समय रहते हो जाती है, तो इसका सीधा फायदा ग्राहकों और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री दोनों को मिलेगा।

  • ग्राहकों को मिलेगा सस्ता वाहन खरीदने का मौका।
  • त्योहारी सीजन में मांग बढ़ेगी और बाजार को गति मिलेगी।
  • डीलर्स का फंसा हुआ स्टॉक आसानी से निकल जाएगा।
  • इंडस्ट्री में नई जान आएगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

FADA का मानना है कि सही समय पर लिया गया फैसला इस सेक्टर को बड़ी राहत देगा।


आने वाली GST परिषद बैठक से उम्मीदें

सितंबर 2025 की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली GST परिषद की बैठक बेहद अहम मानी जा रही है। चर्चा है कि इसमें टू-स्लैब टैक्स सिस्टम पर विचार किया जाएगा।

यदि निर्णय के अनुसार कारों और टू-व्हीलर्स पर टैक्स 28% से घटाकर 18% किया जाता है, तो इससे कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। अनुमान है कि मिड-सेगमेंट कारों की कीमत लाखों रुपये तक कम हो सकती है।


ग्राहकों की रणनीति

ग्राहक भी फिलहाल इंतजार की मुद्रा में हैं। कई परिवार जिन्होंने त्योहारों पर नई कार या बाइक खरीदने की योजना बनाई थी, वे अभी टैक्स कटौती का इंतजार कर रहे हैं।

  • नई गाड़ियों की बुकिंग धीमी हो गई है।
  • पुराने मॉडल्स पर डिस्काउंट होने के बावजूद ग्राहक नई टैक्स दर लागू होने तक रुकना चाह रहे हैं।
  • अगर सरकार जल्द फैसला लेती है तो यह खरीदारी का सीजन धमाकेदार हो सकता है।

डीलर्स की मुश्किलें

डीलर्स सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

  • उन्होंने त्योहारों को ध्यान में रखते हुए भारी स्टॉक जमा कर लिया है।
  • EMI और बैंकों का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
  • ग्राहकों की मांग न आने से उनकी पूंजी अटक गई है।

इसीलिए FADA ने बैंकिंग सेक्टर से रीपेमेंट अवधि बढ़ाने की मांग की है, ताकि वित्तीय बोझ कुछ कम हो सके।


इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस

एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर पहले से ही मात्र 5% GST है। टैक्स कम होने के कारण EVs की बिक्री धीरे-धीरे बढ़ रही है। लेकिन पारंपरिक पेट्रोल-डीजल गाड़ियों पर टैक्स दरें ऊंची होने के कारण ग्राहक कंफ्यूज हो रहे हैं।

अगर टैक्स में कमी की जाती है तो पारंपरिक वाहनों की बिक्री भी फिर से बढ़ सकती है, जिससे बाजार में संतुलन आएगा।


निष्कर्ष

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इस समय GST कटौती को लेकर असमंजस में है। ग्राहक नई गाड़ियों की खरीद टाल रहे हैं और डीलर्स पर वित्तीय दबाव बढ़ रहा है। FADA की मांग है कि सरकार जल्दी से जल्दी GST दरों पर फैसला ले और नई व्यवस्था लागू करे।

अगर समय पर टैक्स घटा दिया जाता है तो त्योहारी सीजन में बिक्री में बूम आ सकता है। इससे न केवल ग्राहकों को सस्ती गाड़ियां मिलेंगी बल्कि उद्योग को भी नई रफ्तार मिलेगी।

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