Bahula Chauth Vrat 2025: संतान सुख और धनधान्य को देने वाले बहुला चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Anand Patel

Bahula Chauth Vrat 2025: संतान सुख और धनधान्य को देने वाले बहुला चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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Bahula Chauth Vrat 2025, Bahula Chauth 2025: हिंदू धर्म में भाद्रपद माह का विशेष महत्व माना जाता है। इस महीने में कई प्रमुख पर्व और व्रत आते हैं, जिनमें जन्माष्टमी और बहुला चौथ खास स्थान रखते हैं। बहुला चौथ को गाय की पूजा और श्रीकृष्ण की आराधना के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गाय की सेवा और पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और परिवार में समृद्धि आती है।

इस वर्ष बहुला चौथ 12 अगस्त 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। यह व्रत साल भर में आने वाली चार प्रमुख चतुर्थियों में से एक है। आइए जानते हैं बहुला चौथ की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और कथा।


बहुला चौथ 2025 तिथि और पूजा मुहूर्त

  • तिथि प्रारंभ: 12 अगस्त 2025, सुबह 8:40 बजे
  • तिथि समाप्त: 13 अगस्त 2025, सुबह 6:35 बजे
  • पूजा का शुभ समय: सुबह 9:07 से दोपहर 2:05 बजे तक
  • चंद्रोदय का समय: रात 8:20 बजे

इस समयावधि में भगवान श्रीकृष्ण, बहुला गाय और गणेश जी की पूजा करने से व्रती को विशेष फल प्राप्त होता है।


Bahula Chauth Vrat 2025 का महत्व

हिंदू शास्त्रों में गाय को ‘माता’ का दर्जा प्राप्त है। गाय को धरती पर मौजूद 33 कोटि देवी-देवताओं का वास स्थल माना जाता है। बहुला चौथ के दिन गाय की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है, संतान की रक्षा होती है और संतान की आयु लंबी होती है।

मान्यता है कि इस दिन गाय की सेवा और पूजा करने वालों पर भगवान श्रीकृष्ण और समस्त देवी-देवताओं का आशीर्वाद बना रहता है। विवाहित महिलाएं यह व्रत संतान की खुशहाली और परिवार की उन्नति के लिए करती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए इसे रखती हैं।


बहुला चौथ की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने बहुला नाम की गाय की धर्मनिष्ठा और निष्ठा की परीक्षा लेने का विचार किया।
वे शेर का रूप धारण कर बहुला गाय के सामने प्रकट हुए।

जब बहुला ने शेर को देखा तो वह समझ गई कि यह उसका अंतिम समय है। लेकिन उसने शेर से विनती की कि पहले वह अपने बछड़े को दूध पिलाने जाए और फिर वापस आकर स्वयं को उसका भोजन बना देगी।

शेर उसकी ममता और वचनबद्धता से प्रभावित हुआ और उसे जाने दिया। बहुला ने अपना वादा निभाते हुए वापस लौटकर शेर के सामने उपस्थित हो गई। तभी भगवान श्रीकृष्ण ने अपना असली स्वरूप प्रकट किया और बहुला की भक्ति से प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया —
“कलियुग में जो भी तुम्हारी पूजा करेगा, उसकी संतान सुखी और सुरक्षित रहेगी।”

तभी से बहुला चौथ के दिन श्रीकृष्ण और गाय की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

Bahula Chauth Vrat 2025: संतान सुख और धनधान्य को देने वाले बहुला चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

गणेश जी की पूजा का महत्व

बहुला चौथ के दिन संयोग से भाद्रपद माह की हेरंब संकष्टी चतुर्थी भी मनाई जाती है। इस दिन गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है।
मान्यता है कि श्रीकृष्ण और गाय की आराधना के साथ गणेश जी की उपासना करने से व्रती को कई गुना अधिक पुण्य मिलता है और जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं।


बहुला चौथ पूजा विधि

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थान को साफ करके उसमें गौ माता और श्रीकृष्ण की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. गाय को स्नान कराकर उसे पुष्प माला पहनाएं और चंदन-हल्दी का तिलक करें।
  4. धूप-दीप, फूल, अक्षत और नैवेद्य अर्पित करें।
  5. उसके बाद संतान सुख देने वाली इस पावन कथा का श्रवण पूरे मन से करें और अंत में परिवार जनों के साथ लड्डू गोपाल और गऊ माता की आरती करें।
  6. पूजा के बाद गाय को हरा चारा और मिठाई खिलाएं।

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बहुला चौथ व्रत के नियम

  • व्रत करने वाले को पूरे दिन संयम और शुद्ध आचरण रखना चाहिए।
  • व्रती को बिना स्नान-पूजा के भोजन नहीं करना चाहिए।
  • गाय की सेवा और भोजन कराना अनिवार्य माना गया है।
  • शाम को चंद्रोदय के समय अर्घ्य देकर व्रत का समापन करना चाहिए।

धार्मिक मान्यताएं और लाभ

  • इस व्रत से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  • संतान पर आने वाले संकट दूर होते हैं।
  • परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  • जीवन के संकट और कठिनाइयां कम होती हैं।

आधुनिक समय में बहुला चौथ का महत्व

आज के समय में जब लोग परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे में बहुला चौथ जैसे पर्व हमें संस्कृति और धार्मिक मूल्यों से जोड़ते हैं। यह दिन हमें गाय के महत्व, माता-पिता के प्रति कर्तव्य और वचन निभाने की प्रेरणा देता है।


नोट: यहां दी गई जानकारी प्राचीन मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है। किसी भी प्रकार के निर्णय या अनुष्ठान से पहले संबंधित विशेषज्ञ या आचार्य से परामर्श लें।

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